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किसी जमाने में अपने अनोखे प्रेम के लिए सुविख्यात टेसू और झेंझी विवाह परंपरा को आज की युवा पीढ़ी भूलती जा रही है इसका सबसे ज्यादा प्रभाव इंटरनेट से पड़ा है मुरसान कस्बा के रामलीला मैदान के पास लगी दुकान पर पप्पू टेशू औऱ झेझी बेचने का काम करते हैं उन्होंने बताया कि तब से इंटरनेट आया है तब से काफी कम बिक्री हो रही है अब सिर्फ कुछ ही लोग टेशू और झेझी खरीदने के लिए आते हैं शहर से ज्यादा तो गांव के ही लोग खरीदते हैं
अगर हम इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो पता चलता है कि किसी समय में इस प्रेम कहानी को परवान चढ़ने से पहले ही मिटा दिया गया था। लेकिन उनके सच्चे प्रेम की उस तस्वीर की झलक आज भी यदाकदा देखने को मिल ही जाती है। शहर के लोग तो इसे लगभग पूरी तरह भूल ही चुके हैं। लेकिन गांवों में कुछ हद तक यह परंपरा अभी भी जीवित है।
जहां आज भी टेसू-झेंझी का विवाह बच्चों व युवाओं द्वारा रीति-रिवाज व पूरे उत्साह के साथ कराया जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि अपनी प्राचीन परंपरा को सहेजने में गांव आज भी शहरों से कई गुना आगे हैं|
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