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अलीगढ। वैदिक पंचांग के अनुसार एक साल में सूर्यदेव एक अवधि तक एक-एक करके 12 राशियों में प्रवेश करते हैं, सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति नाम से जाना जाता है। साथ ही जिस राशि में प्रवेश कर रहे है उस राशि का नाम आगे जुड़ जाता है। 14 जनवरी को रात्रि 08:45 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में गोचर कर रहे हैं,ऐसे में मकर संक्रांति का क्षण 14 जनवरी को ही पड़ रहा है परंतु सांयकाल के बाद संक्रांति लगने पर पुण्यकाल अगले दिन रविवार को मध्यान 12:45 तक रहेगा। रविवार प्रातः 07:15 से लेकर सांय 05:46 बजे तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा एवं महापुण्यकाल प्रातः 07:15 बजे से प्रातः 09:00 बजे तक होने के कारण इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी रविवार को मनाई जाएगी। यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी।

स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने मकर संक्रांति के विषय में स्पष्ट जानकारी देते हुए बताया कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो मकर संक्रांति होती है सूर्य के उत्तरायण की स्थिति में यानि इस दिन से पृथ्वी उत्तरी गोलार्ध की ओर गति करने लगती है जिससे दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं। इसके साथ ही सूर्य की रोशनी अधिक समय तक फसलों में रहती हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सिर्फ सूर्य भगवान ही नहीं, उनके वाहन का भी विशेष महत्व है, प्रति वर्ष सूर्य देव अलग अलग वाहनों पर सवार होकर संक्रांति का योग लेकर आते हैं। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र एवं उपवाहन अश्‍व है वर्ण भूत है। पीले रंग के वस्त्रों में बकुल का पुष्प लेकर, वृद्धावस्था में चंदन के लेप के साथ मोती की माला पहने हुए हाथ में ताम्रपात्र और गदा को लिए हुए पश्चिम की दिशा में बैठी हुईं प्रकट होंगी।सूर्य देव के वाहन की विशेषता और लाभ के बारे में बात करें तो, बाघ को वीरता और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में मकर संक्रांति के प्रभाव से व्यक्तित्व में साहस का संचार होगा।

इनपुट : विनय चतुर्वेदी