एकता और सद्भाव के प्रतीक एवं खुशियों और रंगों का पर्व होली इस बार अन्य पर्वो की भांति भ्रम की स्थिति में बना हुआ है। देश भर के विद्वानगण अपने अपने मतों को रख कर होलिका दहन से जुडा तर्क प्रस्तुत कर रहे है। ज्योतिर्विद ,वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने वैदिक शास्त्रों मुख्य रूप से निर्णय सिंधु आदि पुस्तकों में विस्तृत अध्ययन करने के बाद होलिका दहन के बारे में बताया कि किसी भी पर्व को लेकर अपना मत प्रस्तुत करने से पहले शास्त्रों के विषय में जानकारी आवश्यक है, यदि शास्त्रों अनुसार चलें तो किसी भी पर्व या त्यौहार में भ्रम की स्थिति नहीं बन सकती कुछ समय से सभी त्योहारों में कहीं न कहीं दो तिथियों में उत्सव देखने की वजह से दो दिन पर्व मनाये जा रहे हैं जिससे लोगों के अंदर उत्साह देखने को नहीं मिल रहा लेकिन यही पर्व और व्रत सभी विद्वानों को शास्त्र सम्मति एक तिथि में मनाया जाना चाहिये।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि पूर्णिमा तिथि सोमवार सांय 04:17 मिनट से प्रारंभ होकर मंगलवार सांय 06:09 मिनट तक रहेगी, पूर्णिमा के साथ ही भद्राकाल प्रारंभ होकर कल प्रातः 05:14 मिनट तक रहेगा जिसमें होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता वहीं चतुर्दशी तिथि में होलिका की पूजा भी नहीं की जाती साथ ही मंगलवार को विना भद्रा उदया तिथि में पूर्णिमा होने के कारण सांय 06:24 मिनट से 08:51 मिनट तक होलिका दहन अत्यंत शुभ रहेगा। स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने होलिका दहन के अवसर पर विशेष पूजन अर्चन एवं उससे जुड़े उपायों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रातः दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर होलिका दहन वाले स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। अब रोली, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज से होलिका की पूजा आराधना कर भगवान नरसिंह का ध्यान करें। पूजा के बाद कच्चा सूत से होलिका की 5 या 7 बार परिक्रमा करके बांध दें तत्पश्चात शुभ मुहूर्त में किसी विद्वान ब्राह्मण अथवा घर के किसी बड़े बुजुर्ग व्यक्ति से होलिका की अग्नि प्रज्वलित करवाएं,होलिका की अग्नि में जौ की फसल के एक एक बीज से आहुति देना चाहिए। आर्थिक समस्याओं से मुक्ति हेतु होलिका दहन वाले दिन घर के मुख्य द्वार पर हल्का गुलाल डालकर दो मुखी दीपक जलाना चाहिए।सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए एक बड़े गोले में छोटे गोले को कद्दूकश करके 11 कमल गट्टा 11 जोड़ी लौंग,11 जोड़ा इलायची,5सुपारी, पीली सरसों,गुग्गल,लोहबान,कपूर,देशी घी,काले तिल मिलाकर भरकर उसको बन्द करके कलावा से बांधकर लाल कन्द में बंद करके अपने और अपने परिवार के सभी सदस्यों के ऊपर से 7 बार वामवर्त एंटी क्लॉक उतार कर ,अपनी मनोकामना स्मरण करते हुए चौराहे की होली में छोड़ दें।
स्वामी जी के अनुसार होली के रंगों का प्रयोग यदि राशि के अनुसार किया जाये तो अत्यंत शुभकारी रहेगा मेष राशि का स्वामी मंगल होने के कारण लाल, पीला, गुलाबी रंग,वृषभ राशि वाले हरा-सफेद और अन्य कोई चमकीला रंग प्रयोग कर सकते हैं, मिथुन राशि वाले नीला, पीला, गुलाबी, हरा और बैंगनी रंग, कर्क राशि वाले लाल, गुलाबी ,पीले तथा सिंह राशि के हरा,पीला कन्या राशि के नीले रंग के तुला राशि के गुलाबी, नीले, सफेद और सभी चमकीले रंग, वृश्चिक राशि के लाल, गुलाबी, सफेद धनु राशि वाले लाल, पीले और सुनहरे एवं मकर राशि के सफेद, पीला,कुम्भ राशि के जामुनी, गुलाबी रंग के साथ मीन राशि के लोग यदि होली के दिन पीले और सफ़ेद रंगों का चुनाव करेंगे तो उनके जीवन में शुभता आएगी साथ ही रिश्तों मे भी सामंजस्य रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने प्रकृति के संरक्षण एवं जीवों सुरक्षा पर जोर देते हुए ग्रीन होलिका पर्व मनाने को लेकर बताया कि होली के दहन में पीपल के पेड़, शमी का वृक्ष, आम के पेड़, आंवले के पेड़, नीम के पेड़, केले के पेड़, अशोक के पेड़ और बेल के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग कदापि नहीं करना चाहिए क्योंकि इन पेड़ों को सनातन धर्म में शुभ माना जाता है साथ ही कूड़ा करकट एवं हरे-भरे पेड़ों का भी होलिका दहन में उपयोग वर्जित है उन्होंने बताया कि शुद्ध देसी गाय के उपलों का प्रयोग करने से पर्यावरण की शुद्धि के साथ पुण्य की प्राप्ति करें। और किसी भी प्रकार के रसायनयुक्त रंगों के प्रयोग से बचें।और सभी सनातन प्रेमी कम से कम एक वृक्ष लगाकर इस बार होली मनाएं जिससे हमारी पृथ्वी हरी भरी होकर सुन्दर वातावरण का निर्माण करे।

INPUT-VINAY CHATURVEDI