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हाथरस : पितृपक्ष के पावन दिनों के बाद माँ दुर्गा को समर्पित नौ दिवसीय महापर्व नवरात्र जिनमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपो की पूजा की जाती है।इस बार शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं,जिनका समापन 12 अक्टूबर को होगा।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार नवरात्र में घट स्थापन और अखंड ज्योति का विशेष महत्व है,उससे भी ज्यादा महत्त्व घट स्थापन के शुभ मुहूर्त का है,इस बार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का मुहूर्त प्रात: 06:15मिनट से 07:43 मिनट, 12:09 से 13:30,16:25 से प्रदोष काल तक रहेगा। वहीं देवी दुर्गा की सवारी शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे।गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता। श्लोक के अनुसार नवरात्रि जब सोमवार या रविवार के दिन से प्रारंभ हो तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं,शनिवार और मंगलवार के दिन कलश स्थापना हो तो मां अश्व यानी घोड़े से आती हैं तथा गुरुवार और शुक्रवार से शुरुआत हो तो मां दुर्गा का वाहन डोली या पालकी होती है,वहीं बुधवार से नवरात्रि प्रारंभ हो तो मां दुर्गा नाव से आती हैं। अतः इस बार नवरात्रि पर्व गुरुवार से प्रारंभ होने के कारण माँ दुर्गा डोली पर सवार होकर आएंगी। जब पालकी या डोली पर सवार होकर दुर्गा जी आती हैं तो अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है, मंदी गिरावट जैसी स्थिति देखने को मिलती है,वहीं लोगों में गुस्सा, असंतोष, नाराजगी बढ़ती है तथा देश दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं आने की संभावना बढ़ जाती है,सत्ता, शासन को चुनौतियों का सामना करने के साथ दुर्घटनाओं में जनहानि होती है। यह भी देखें : बागला कॉलेज में सेवा पखवाड़ा में हुआ कार्यक्रम
स्वामी जी ने नवरात्रि पूजन और कलश स्थापना के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि देवी दुर्गा की पूजा के नौ दिनों में प्रतिदिन अलग अलग स्वरुप की आराधना की जाती है।पहले दिन की पूजा मां शैलपुत्री से प्रारंभ होकर मां ब्रह्मचारिणी,चंद्रघंटा,कुष्मांडा,स्कंदमाता,कात्यायनी,माँ कालरात्रि,महागौरी एवं सिद्धिदात्री देवी के साथ समाप्त होती है। और हर स्वरुप की आराधना के साथ भक्तों की मनोकामना की पूर्ति देवी दुर्गा करतीं है।
शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के समय इंद्र योग के साथ ही प्रतिपदा तिथि को हस्त और चित्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है और पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा।ऐसे में मिट्टी या तांवे के कलश में जल लेकर उसमें एक धातु का टुकड़ा,चांदी का सिक्का,हल्दी,सुपारी,अक्षत,पान,फूल,इलायची डालकर कलश के नीचे बालू अथवा मिट्टी में जौ के बीज बोयें और अशोक/आम के पत्तों को कलश के मुँह में लगाकर पानी वाला नारियल कलश के ऊपर रखकर चुनरी से सजायें। और फूल माला अर्पित करें देवी के दाहिने शुद्ध देशी घी या मीठे तेल में अखंड ज्योति जलाकर रखें। और पवित्र भाव से प्रतिदिन दुर्गा का पूजन अर्चन कर एक, तीन या नौ कन्याओं का पूजन कर माँ की कृपा के पात्र बनें।

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INPUT – VINAY CHATURVEDI