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भारत सरकार के न्याय विभाग एवं राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया को आमजन तक आसानी से एवं सुगम तरीके से पहुंचाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के सीएससी इ-गवर्नेंस के माध्यम से नया नवाचार किया है।
यह जानकारी देते हुए सीएससी जिला प्रबंधक प्रदीप सिंह ने बताया कि अभी तक लोगों को कानूनी सलाह प्राप्त करने के लिए वकील के पास जाने की जरूरत होती थी, साथ ही हर जगह पर वकील की उपलब्धता भी नहीं हो पाती थी। इसको देखते हुए केंद्रीय न्याय विभाग ने सीएससी इ-गवर्नेंस के माध्यम से इस योजना को लागू किया है। जिसमें सूचना एवं संचार तकनीकी का इस्तेमाल करके दिल्ली के एक्सपर्ट वकील और जरूरतमंद हितग्राहियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सीएससी केंद्रों पर व्यक्तियों को बहुत ही कम शुल्क लेकर सलाह दी जाएगी। इस सलाह की प्रक्रिया के बारे में जिला प्रबंधक न बताया कि टेली-लॉ के माध्यम से लाभ लेने के लिए हितग्राहियों को गांव पंचायत में मौजूद सीएससी केंद्र जाना होगा जहां पर सीएससी के पोर्टल के माध्यम से हितग्राही का ऑनलाइन पंजीयन होगा जिसमें नाम, उम्र,पता, फोन नंबर तथा समस्या का संक्षिप्त में वर्णन होगा और एक्सपर्ट से समय के लिए अपाइंटमेंट फिक्स कर लिया जाएगा। एक्सपर्ट के द्वारा उस बुकिंग समय में हितग्राही को कानूनी सलाह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दी जाएगी। सीएससी के माध्यम से टेली ला योजना का लाभ लेने के लिए हितग्राही अपना कोई भी पता का पूफ्र, जन्मप्रमाण पत्र, दिव्यांग है तो उसका सर्टिफिकेट लेकर पंजीयन काराना पडेगा। टेली लॉ के माध्यम से दहेज, पारिवारिक विवाद, तलाक, घरेलू हिंसा से बचाव, महिला, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन यौन दुव्र्यवहार, छेड़छाड़ आदि प्रकरण शामिल है। तथा जमीन जायदाद व सम्पत्ति का अधिकार, महिला एवं पुरुषों के लिए समान मजदूरी, मातृत्व लाभ, भ्रू हत्या रोकथाम, बाल विवाह, बाल श्रम, बाल मजदूरी, बच्चों के शिक्षा के अधिकार, गिरफ्तारी (गिरफ्तारी के बाद की प्रक्रिया, बिना वारंट गिरफ्तारी, जोर जबरदस्ती से गिरफ्तारी, महिला से पूछताछ, पुलिस हिरासत में यातना, एफआइआर प्रक्रिया, जमानती, गैर जमानती अपराध, जमानती प्रक्रिया, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के प्रति अत्याचार और पुन्निरवास भी शामिल है। उन्होंने बताया कि महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति के सदस्य, औद्योगिक कामगार, श्रमिक, मजदूर, जातीय हिंसा से पीडित, प्राकृतिक आपदा से पीडिता जैसे भूकंप, बाढ़, सूखा, दिव्यांग व्यक्ति, मानसिक रूप से अस्वस्थ्य, गरीबी रेखा के नागरिक, ऐसे व्यक्ति जो अभिरक्षा में रहने वालों को इसका लाभ मिल सकेगा।

INPUT – आविद हुसैन

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