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पेट की भूख बुझाने के लिए कीचड के ढेर से कवाडे को ढूंढने मे लगा किशोर जिस कन्धे पर होना चाहिए किताब कोपी का थैला उस कन्धे पर लटकी है कवाडे वोरी

सिकंदराराऊ : एक ओर प्रदेश सरकार ननिहालों के भविष्य को सुधारने के लिए पढ़ाई लिखाई के लिए मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन वहीं यह गरीबी उनके पढ़ाई लिखाई करने मे आडे आ रही है जिसकी वजह से ज्यादातर किशोर पढाई से बछिंत रह कर अपना पेट भरने के लिए या तो होटल या चाय की दुकान पर मजदूरी करते है या फिर कीचड के ढेर पर प्लास्टिक आदि वीन वटोर कर और कुछ पैसे मे वेचकर अपना पेट भरते हे जी हां यह तस्वीर भी कुछ येसी ही हकीकत वयां कर रही है हम बात कर रहे है एक ऐसे नाबालिग किशोर की जिसकी उम्र है महज आठ साल हे जिसके हाथ पढाई लिखाई करने के लिए कलम पर जाने चाहिए जो कि अपनी लाचार और गरीबी से परेशान होकर एक एक कीचड के ढेर मे प्लास्टिक जेसे अन्य विकने वाले कवाडे को ढूंढने के कीचड के ढेर पर घूम रहा है और कन्धे पर एक वोरी लटकी हुई है इसी को कहते है गरीबी की खातिर लाचार बनी जिन्दगी |

INPUT – Ravindra yadav

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