Visitors have accessed this post 338 times.

सासनी(हाथरस) : नगर की साहित्यिक संस्था साहित्यानंद द्वारा
गुरु के सम्मान में कवि चौपाल का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता बाबा जगमोहन नारायण गिरि व
संचालन कवि मुरारी लाल मधुर ने किया।
अध्यक्ष द्वारा माँ सरस्वती के छवि चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर कवि चौपाल का शुभारंभ कराया गया। तत्पश्चात
कवि जगमोहन नारायण गिरि ने सरस्वती वंदना के सस्वर पाठ के बाद सुनाया-‘सत्गुरु ज्ञान नहीं है संभव गुरु के चरण पखार,गुरु ज्ञान ही तारे महिमा गुरु की अपरम्पार ।इसके बाद राम निवास उपाध्याय ने सुनाया- सावन के ऑगन में भैया आयो है ऋतुराज रे दादुर जन सब मौन पड़े हैं कोयल गाती राग रे।
तत्पश्चात हास्य कवि वीर पाल सिंह वीर ने सुनाया-
टीवी सीडी ने कैसौ माहौल बिगाड़ौ है शरम कौ चश्मा ऑखन से उतारौ है।इसके बाद व्यंग्य कवि
वीरेन्द्र जैन नारद ने सुनाई-मेरा घर , घर नहीं मधुमक्खी का छत्ता है जिसमें रहने वाली पत्नी तुरुफ तो पति बेचारा कटा हुआ ताश का पत्ता है।
इसके बाद बारी आई कवि विष्णु कुमार शर्मा की उन्होंने सुनाया- गोल गोल लड़ुआ सी हाथन में खड़ुआ सी रस भरे गड़ुआ सी मेरी घर वारी है।इसके बाद रवि राज सिंह ने सुनाया-जब जब अंगीठी की ऑच धसक जाती है
चावल दाल की पिट्ठी बन अधगली रह जाती है सच कहता हूॅ मुन्ने की माॅ तब तुम्हारी बहुत याद आती है। त्पश्चात मुरारीलाल मधुर ने सुनाई-भेड़ सदा मुड़ती रही खिचती जिसकी ऊन,निर्दोषों का देश में सदा बहा है खून इसके बाद मौजूद गुरुओं का सम्मान करने व अध्यक्षीय उद्बोधन के साथ ही कवि चौपाल का समापन हो गया।

INPUT – DEV Prakash dev