Visitors have accessed this post 300 times.
सिकन्दराराऊ : दीपोत्सव के पँचपर्व के चतुर्थ दिवस पर घर घर गोबर से गोबर्धन महाराज बना कर उत्साह के साथ पूजा अर्चना की गई। समूचा वातावरण गिरिराज धरण हम तेरी शरण, रख लाज हमारी गोवर्धन से गुंजायमान हो उठा।दीवाली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पर्व एक दिन लेट बुधवार को मनाया गया। सुबह महिलाओं ने अपने-अपने घरों के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर पूजा की। पूजा के बाद भगवान श्रीकृष्ण को 56 तरीके के भोग लगाया गया।
गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को होती है। इस बार सूर्य ग्रहण की वजह से तिथि एक दिन आगे बढ़ गईं। ऐसे में गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक ही दिन मनाया जा रहा है। महिलाओं ने आज सुबह जल्दी उठकर अपने घरों के बाहर शुभ मुहू्र्त में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई। इसके बाद गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाई गई। इसके बाद धूप-दीप से पूजा की गई। भगवान कृष्ण का दूध से अभिषेक कर पूजन किया। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाया गया। पूजा के दौरान देवता को दीपक, फूल, फल, दीप और भोग अर्पित कर श्रीकृष्ण की आरती की गई।
पहली बार दीवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं हुई। इससे पहले दिवाली के दूसरे दिन साल 1995 में सूर्य ग्रहण हुआ था, लेकिन वह दिन में ही सूर्य ग्रहण हो गया, ऐसे में शाम को गार्वधन पूजा हो गई थी, वहीं इस बार सूर्यास्त के समय भी ग्रहण रहने से गोर्वधन पूजा नहीं हुई। इस बार सूर्य ग्रहण का प्रभाव होने से गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर को मनाया गया।
यह भी देखें :-