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हसायन कस्बा और उसके आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों सिंघाड़े की फसल अपने पूरे शबाब पर है। इस बार मौसम ने किसानों का खूब साथ दिया है — समय पर हुई बरसात और अनुकूल जलवायु के चलते सिंघाड़े की पैदावार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है। किसानों के चेहरों पर मुस्कान है और खेत-तालाबों में काम की रौनक देखने लायक है।
अच्छी बरसात बनी वरदान
इस साल समय पर हुई बारिश ने सिंघाड़े की खेती को नई जान दी है। किसानों के अनुसार, एक बीघा खेत की लागत करीब चार हजार रुपये आती है, जबकि इस बार सिंघाड़े का भाव ₹1400 प्रति कुंतल तक पहुंच गया है। इससे उत्पादकों को पिछले वर्षों की तुलना में दोगुना मुनाफा मिल रहा है।
किसानों का कहना है कि एक बीघा में लगभग चार बार सिंघाड़े की खुदाई की जाती है, जिससे परिवारों की आमदनी का अच्छा स्रोत बन जाता है। हसायन के सिंघाड़े की देशभर में मांग
हसायन क्षेत्र में उत्पादित सिंघाड़े की खपत केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है। हाथरस के अलावा आगरा, मथुरा, एटा, कासगंज, बुलंदशहर, और राजस्थान के जयपुर सहित कई जिलों में इसकी बड़ी मांग है।
इतना ही नहीं, दिल्ली और राजस्थान से व्यापारी यहां आकर सीधे खेतों से खरीदारी करते हैं और बड़े वाहनों से माल ले जाते हैं। इससे स्थानीय किसानों और मजदूरों को निरंतर रोजगार मिल रहा है। मजदूरों को भी मिली राहत
इस फसल के सीजन में हसायन क्षेत्र के सैकड़ों महिला, पुरुष और युवा मजदूर तालाबों में दिनभर मेहनत कर अपनी अच्छी आमदनी कर रहे हैं। मजदूरी दरों में भी पिछले साल की तुलना में इजाफा हुआ है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आई है।
इस समय हसायन क्षेत्र में सिंघाड़े की खेती किसानों की रीढ़ की हड्डी साबित हो रही है। एक ओर यह सैकड़ों परिवारों की आजीविका का साधन है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की मंडियों में “हसायन के सिंघाड़े” की ब्रांड पहचान भी मजबूत हो रही है |

INPUT – YATENDRA PRATAP