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हाथरस। चुभती जलती गर्मी अपने साथ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं भी लेकर आता है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, वैसे इन समस्याओं का खतरा और ज्यादा बढ़ने लगता है। इस मौसम में हीट स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन, त्वचा संक्रमण, आंखों का संक्रमण, पेट संक्रमण जैसी समस्याएं सामने आती है।
हीट स्ट्रोक-
अधिक धूप व गर्मी के कारण शरीर का तापमान बढ़ने लगता है। हीट स्ट्रोक की स्थिति में रोगी के शरीर की प्राकृतिक कूलिंग बंद हो जाती है। जिसके कारण रोगी के शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता है। अगर सही समय पर बाहरी सहायता से शरीर का तापमान कम न किया जाय तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
डीहाइड्रेशन-
स्वस्थ मनुष्य के शरीर में कुल वनज का 75 फीसदी पानी होता है। डीहाइड्रेशन वह स्थिति है जब मनुष्य के शरीर में से बाहर निकलने वाले पानी की मात्रा शरीर के अंदर उपस्थित पानी की मात्रा से अधिक हो जाती है तो इस स्थिति को डीहाइड्रेशन कहते हैं। इसमें रोगी को मंुह सूखना, चक्कर आना, धड़कनें तेज हो जाना, सामान्य से अधिक प्यास लगना आदि लक्षणों का सामना करना पड़ता है।
त्वचा संक्रमण-
चुभती जलती धूप हमारी त्वचा के लिये भी नुकसान दायक होती है। गर्मीयों में कई प्रकार के त्वचा संक्रमण हो जाते हैं। जिनमें प्रमुख रूप् से सनबर्न, त्वचा का लाल हो जाना, त्वचा पर दाने निकल आना आदि लक्षण हैं।
आंखों का संक्रमण-
धूप व लू का हमारी आंखों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गर्मी के मौसम में आंखों में संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस मौसम में आंखों का लाल हो जाना, आंखों से पानी आना, आंखों का सूज जाना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बचाव-
गर्मी के मौसम में ज्यादा से पानी पीने की कोशिशि करें।
धूप में सिर पर कपड़ा या कैप आदि पहन कर निकलें।
तेज मसालेदार व गरिष्ठ भोजन का परहेज करें।
तरल पेय पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
चाय काफी न पियें ये शरीर में उपस्थित पानी की मात्रा को सोख लेते हैं।
नारियल पानी शिकंजी आदि का प्रयोग करें।
सूती कपड़े व हल्के कपड़े पहनें।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ-
गर्मी का मौसम अपने साथ कई प्रकार की समस्याओं को लेकर आता है। लेकिन कुछ खास बातों को ध्यान में रखा जाय तो इन समस्याओं से बचा जा सकता है। इन दिनों खान पान पर खास ध्यान देना चाहिये। खाने में गरिष्ठ भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिये। इन दिनों पेय पदार्थों का प्रयोग अधिक करना चाहिये। चाय काफी आदि से परहेज करना चाहिये। नारियल पानी, शिकंजी आदि का प्रयोग अधिक करना चाहिये।

– डा0 एस के राजू , गावर हाॅस्पीटल, हाथरस।

 

INPUT : Lucky Sharma

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