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हाथरस : बूलगढ़ी कांड के चार आरोपियों में से न्यायालय ने तीन को बरी दिया। जबकि मुख्य आरोपी को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास व पचास हजार के अर्थदंड से दंडित किया है।
विदित हो कि मामला एक दलित किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार कर हत्या कर देने के आरोप में चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बताते हैं कि गांव के ही संदीप,  रवि, रामू व लवकुश पर आरोप था कि उन्होंने गांव की एक दलित किशोरी के साथ दुष्कर्म कर गंभीर मारपीट की थी। बताते हैं पीड़िता ने 29 सितंबर, 2020 को दिल्ली में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। उसके बाद यह मामला जब मीडिया में चला तो डीजीटियल
मीडिया में भी यह मामला काफी बड़ा हाईलाइट हो गया था। पूरे देश की निगाहें हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के गांव बूल गढ़ी पर टिक गई थी। शासन और प्रशासन ने भी मामले को काफी गंभीरता से लिया था और मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था। 18 दिसंबर 2020 दिन शुक्रवार को सीबीआई ने इस प्रकरण में चारों आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र हाथरस के स्पेशल एससी-एसटी न्यायालय में एससी-एसटी के अलावा आईपीसी की धारा 302, 376 ए और डी व 354  में सौंप दीया था। मामले में आरोपी पक्ष की तरफ से मौजूद रहे अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंडीर व विशंभर सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया था कि चारों ही आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट न्यायालय में सौंप दी है।बूलगढ़ी कांड के नाम से बहुचर्चित बिटिया प्रकरण में आज न्यायालय ने अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए मुख्य आरोपी के रूप में संदीप को दोषी मानते हुए गैर इरादतन हत्या में संदीप को आजीवन कारावास और ₹50000 के अर्थदंड से दंडित किया है। इस मौके पर पीड़ित पक्ष की ओर से बतौर अधिवक्ता सीमा कुशवाहा व उनकी टीम मौजूद रही। जबकि आरोपी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुढीर व विशंभर सिंह सहित अन्य अधिवक्तागण मौजूद थे।

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