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अलीगढ : वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में भगवान शिव के पावन एवं पवित्र स्थान कैलाश पर्वत की यात्रा को स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में 6 सदस्यों का जत्था रवाना हुआ है। जिसमें सभी लोगों ने ओम पर्वत के दर्शन कर शनिवार को लगभग दो किलोमीटर की पहाड़ों की पैदल यात्रा कर 19500 फीट ऊंचाई पर जाकर गौरी कुंड एवं भगवान कैलाश के दर्शन कर पूजन अर्चन एवं कोरोना जैसी भयावह महामारी में दिवंगत हुई आत्माओं के निमित्त तर्पण अनुष्ठान किया।
शुक्रवार रात्रि उत्तराखंड के गुंजी में विश्राम के बाद स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के नेतृत्व में चल रही कैलाश यात्रा में उपस्थित भक्तों ने गर्बीयाल एवं जॉलिंगकॉंग के रास्ते शनिवार को आदि कैलाश भगवान के दर्शन का लाभ लिया। गौरी कुंड एवं पार्वती कुंड में स्नान के उपरांत स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री ने यात्रा में उपस्थित लोगों द्वारा गाय के दूध,पवित्र कैलाश के जल,जौ,काले तिल आदि से कोरोना काल में दिवंगत हुए लोगों की आत्माओं की तृप्ति हेतु तर्पण किया स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए बताया कि पुराणों में पितरों की तृप्ति हेतु पाँच सरोवरों के बारे में बताया है जिनमे कैलाश मानसरोवर,नारायण सरोवर, पंपा सरोवर, पुष्कर सरोवर एवं विन्दु सरोवर विशेष महत्त्व रखते हैं। कैलाश मानसरोवर स्थित गौरी कुंड स्नान के महत्त्व को बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह सरोवर ब्रह्मा जी के मन से उत्पन्न हुआ था यहीं पर माता पार्वती स्नान करती हैं। तथा भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत के निकट होने के कारण इसमें पितृ तर्पण का महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है।लगातार दो वर्षों में भयावह स्थिति में फैली कोरोना जैसी महामारी में कुछ परिवारों पर यह आपदा इतनी विकराल हुई जिनके घरों में जनहानि के कारण पितृ पक्ष के दौरान जलदान और तर्पण के लिये भी लोगों का अभाव है तथा कुछ व्यक्ति अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन एवं बादल फटने की घटनाओं में असमय काल में समा गए ऐसे में उन परिवारों की आत्मा की शांति हेतु भगवान शिव के चरणों में किया गया यह तर्पण एवं जलदान निश्चित ही जन्म जन्मांतर के पापों को मिटाकर काल के चक्र से मुक्त करेगा। पूजन अनुष्ठान में प्रमोद वार्ष्णेय,शशि वार्ष्णेय,दिवाकर सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
INPUT – VINAY CHATURVEDI
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