Visitors have accessed this post 21 times.
हाथरस : भारत सरकार ने 2019 में संसद द्वारा “अनियमित जमा योजनाएं पाबंदी अधिनियम (BUDS Act 2019)” पारित किया था। इसका उद्देश्य देशभर में चिटफंड कंपनियों और फर्जी सोसाइटियों द्वारा ठगे गए निवेशकों को समयबद्ध और कानूनी सुरक्षा प्रदान कर उनकी जमा पूंजी का भुगतान सुनिश्चित करना था।
इस अधिनियम के अनुसार, किसी भी ठगी पीड़ित निवेशक के आवेदन पर, 180 दिनों के भीतर उसकी जमा राशि का दो से तीन गुना भुगतान जिला स्तर पर नियुक्त सक्षम अधिकारियों और विशेष न्यायाधीशों के माध्यम से किया जाना था।
वास्तविकता और वर्तमान स्थिति
दुर्भाग्यवश, BUDS Act 2019 की यह स्पष्ट व्यवस्था देशभर में पूरी तरह से निष्प्रभावी बनी हुई है।
शासन और प्रशासन की निष्क्रियता के कारण करोड़ों ठगी पीड़ितों को अब तक उनकी मेहनत की कमाई का एक हिस्सा भी वापस नहीं मिला है।
42 करोड़ से अधिक निवेशक ठगी के शिकार हैं।
5 लाख से ज्यादा पीड़ित आत्महत्या कर चुके हैं।
लाखों ज्ञापन, करोड़ों आवेदन, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं।
सरकार की चुप्पी और वैकल्पिक पोर्टलों द्वारा भिन्न-भिन्न रिफंड पोर्टल लॉन्च किए जा रहे हैं, जो न केवल BUDS Act 2019 का उल्लंघन हैं, बल्कि ठगी पीड़ितों को गुमराह करने का एक सुनियोजित अपराध भी प्रतीत होते हैं।
प्रदर्शन और सत्याग्रह का आह्वान
21 मई 2025 को, राष्ट्रीय संयोजक एवं संस्थापक श्री मदनलाल आज़ाद के आह्वान पर देशभर के जिला और तहसील मुख्यालयों पर “धरना, प्रदर्शन एवं घेराव (सत्याग्रह)” आयोजित किया गया।