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सासनी : आज कल दिन पर दिन बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है।
बरसात के मौसम में तो ये बंदर और भी खूंखार हो जाते हैं। रोजाना कहीं ना कहीं कोई ना कोई बंदरों के आतंक का शिकार हो ही जाता है।और तो और खुली छतों पर व आंगन में कपड़े सुखाना तथा खाना बनाना भी मुश्किल हो जाता है।
घर हो या बाहर हर रास्ते पर
बंदरों का आतंक साफ नजर आता है। जहां भी इनको सर छुपाने को जगह मिलती है उसी को ये अपनी आरामगाह बना लेते हैं। अगर दरवाजा बंद मिलता है तो दरवाजे की देहरी पर बैठे यह बंदर खूंखार हो जाते हैं तब घर के अंदर आना जाना और मुश्किल हो जाता है।
बंदरों और कुत्तों की बढ़ती आबादी से आम जनता परेशान है। मगर इस समस्या का अभी तक कोई हल शासन प्रशासन के पास दिखाई नहीं देता। यही कारण है कि न तो इन बंदरों पर और ना ही कुत्तों पर कोई अंकुश लग पाया है जो जनता की परेशानी का कारण बना हुआ है।जिसके कारण यहां की जनता परेशान है।

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