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मेरठ गठबंधन प्रत्याशी का यह दावा के गठबंधन एकजुट है आप स्वयं देख सकते हैं किसी समय मेरठ के किठौर क्षेत्र को मिनी राजधानी का दर्जा प्राप्त था सियासत का कोई भी मामला हो वह किठौर से ही पास होकर जाता था किठौर के तीन महारथी जिनमें एक पूर्व पश्चिम उत्तर प्रदेश प्रभारी वह बसपा कोऑर्डिनेटर बाबू मुनकाद अली हैं तो दूसरी ओर सपा के दिग्गज पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर अपने आप मे रसूख रखते हैं तो वही रालोद के राष्ट्रीय महासचिव मतलूब गॉड का भी वर्चस्व बदस्तूर जारी है बाबू मुनकाद अली की किठौर में हो रही सभा में गठबंधन के दो दिग्गज अपनी आपसी गुटबाज़ी की वजह से चाह कर भी मंच को साझा नहीं कर सके, गठबंधन प्रत्याशी की एकजुटता के दावों को खोखला साबित कर दिया, गठबंधन में यह तकरार और अंतर कलह निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी को जो कि 10 साल से मेरठ हापुड़ लोक सभा पर राज कर रही है तीसरी बार भी भाजपा की जीत निश्चित तौर पर किठौर से तय हो चुकी है, गठबंधन कि ईतनी बड़ी सभा में गठबंधन के दो दिग्गजों का ना होना गठबंधन प्रत्याशी के और गठबंधन के आकाओं के मंसूबों पर पानी फेर रहा है,सपा बसपा रालोद के नेता तो एक जुट दिख रहे है पर छेत्रिय नेता कभी एक जुट नही हो सकते सबका अपना रसूख है,ओर कोई भी एक दूसरे के मंच को साझा नही कर सकता,पूर्व केबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर प्रबल दावेदार थे और मंच से कितनी बार गठबंधन प्रत्याशी पर तंज कसा चुके थे पर उनकी मजबूरी की सपा के मुखिया अखेलेश यादव के आदेशों को दरकिनार नही कर सके परन्तु अपने वोट बैंक को भी गठबंधन की ओर ले जाने में कामयाब होते नज़र नही आरहे है, अगर हम लोकसभा चुनाव की बात करें तो किठौर से सांसद और मंत्री तय होता है इस सभा में शाहिद मंजूर और पूर्व चेयरमैन का मंच पर ना होना मुस्लिम वोटरों को भ्रमित कर रहा है जिसका खामियाजा हार से चुकाना पड़ सकता है मेरठ हापुड़ लोकसभा पहले ही त्रिकोणीय मुकाबले में फस चुकी है अब जबकि मतदान में 6 दिन शेष बचे हैं ,इस दौरान दो दिग्गजों का मंच पर ना होना गठबंधन प्रत्याशी हाजी याकूब को भारी पड़ सकता है जिसका सीधा फायदा भाजपा को होता नजर आ रहा है तो वहीं मुस्लिम वोटरों का भी रुझान अल्टरनेट ऑप्शन के तहत कांग्रेस की तरफ जाता नजर आ रहा है ,मुसलमान वोटर जानते है कि आपसी खींचातानी में सीट बचाने के लिए एक बड़ी पार्टी सिर्फ कांग्रेस ही है,क्योकि भाजपा को रोकने में सिर्फ कांग्रेस ही एक सहारा शेष है,अब देखना यह होगा कि 11 अप्रैल को मतदान के दिन जनता को अपनी ओर खींचने में कौन कामयाब होता है यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।

आलम ये रहा कि सभा मे 11 की जगह 2 बजे सभा शुरू हुई और लोजी पूर्व केबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर
ओर पूर्व चेयरमैन मतलूब गौड़ के आने का इनतज़ार
करते रहे पर आने का तो दूर मंच से एक बार भी दोनो का नाम नही लिया गया,वही मंच पर किसी भी बेनर पर छेत्रिय नेताओ का नाम या फ़ोटो तक नही लगा,इस बात से मंत्री और पूर्व चेयरमैन के समर्थकों में काफी रोष है जिसका असर 11 अप्रैल को होने वाले मतदान पर पड़ेगा।

रिपोर्ट : राशिद ख़ान