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ऐसे में हटाए गए लोगों के घर पर आर्थिक संकट का ताला लग चुका है.जूता कंपनियों का कहना है कि 60 साल से ऊपर के लोगों का बाहर काम करना, डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर की गाइडलाइंस के आधार पर इस कोरोना काल में उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा हो सकता है…

पर सवाल अब उठता है कि संकट के समय में हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे, आखिर में इस आर्थिक तंगी के काल में इन परिवारों की जिम्मेदारी कौन लेगा.???

क्या कंपनियों में इन लोगों के लिए work-from-home की सुविधा देकर,नौकरी पर जारी रख सकती है. वेतन में थोड़ी बहुत कटौती कर सकती है,पर इस संकट के काल में इन्हें पूर्ण रूप से बेरोजगार करना मानवता का परिचय नहीं है.

जब इस बारे में डिस्टिक लेबर कमिश्नर ऑफिस से बातचीत की कि क्या कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को 60 साल से ऊपर को इस संकट के समय में हटा सकती है.

लेबर ऑफिस से पता चला कि कंपनी अपने 58 से 60 साल से ऊपर के कर्मचारियों को हटाने के लिए स्वतंत्र है. वह चाहे तो रख सकती हो और चाहे तो हटा सकती है..

यह कानून पहले से ही है.इस समय कोई नया कानून नहीं आया है. प्रश्न यह उठता है कि अब इन परिवारों की जिम्मेदारी कौन लेगा, इनमें से कई लोगों ने अपनी नौकरी जाने के गम में जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई |

INPUT – Mahipal singh