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फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर किसी फर्जी अकाउंट का पता लगाना अब मुमकिन होगा. वैज्ञानिकों ने इस काम के लिए एक नया अल्गोरिद्म विकसित किया है.

अध्ययन के मुताबिक यह तरीका उस धारणा पर आधारित है जिसके तहत माना जाता है कि फर्जी अकाउंट के जरिए लोग नेटवर्क में मौजूद दूसरे यूजरों को अजीबो-गरीब लिंक भेजने का काम करते हैं. माना यह भी जाता है कि सोशल साइट्स पर फॉलोअर्स, लाइक्‍स और शेयर की तादाद बढ़ाने के लिए भी फर्जी अकाउंट का सहारा लिया जाता है. इस्राइल की बेन-गुरियोन यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता दीमा कगान ने कहा, “हाल के दिनों में यूजर की निजता को सुरक्षित रखने में नाकामयाबी की चिंताजनक खबरें और चुनावों को प्रभावित करने के लिए रूस द्वारा सोशल मीडिया के लक्षित इस्तेमाल की खबरों के साथ फेक यूजरों को उखाड़ फेंकना बहुत जरूरी हो गया है.”

कगान ने कहा, “हमने हमारे अल्गोरिद्म की जांच 10 अलग-अलग सोशल नेटवर्कों पर मौजूद नकली और वास्तविक डाटा संग्रहों पर की और इसने दोनों पर ही अच्छे से काम किया.” यह अध्ययन सोशल नेटवर्क एनालिसिस एंड माइनिंग पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.

पिछले साल अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में फेसबुक के डाटा का इस्‍तेमाल नतीजों को प्रभावित करने के आरोपों के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग को इसी सिलसिले में अमेरिकी कांग्रेस से माफी मांगनी पड़ी है. उन्‍होंने माना है कि डाटा लीक हुआ था, लेकिन भविष्‍य में ऐसा नहीं होगा. इसके बाद से फेसबुक के अलावा दूसरे नेटवर्किंग साइट्स पर भी डाटा सुरक्षा को लेकर इंतजाम करने की कोशिश शुरू हुई है |

(Input: Vishal Sharma)

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