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सासनी : जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन के छठें वर्ष का शुभारंभ किया। तब वे अपनी मां यशोदा से जिद्द करने लगे कि वह अब बड़े हो गए हैं और गाय चराना चाहते हैं। उनके हठ के आगे मां यशोदा को हार माननी पड़ी और उन्हें अपने पिता नंद बाबा के पास आज्ञा लेने के लिए भेज दिया। उस दिन गोपाष्टमी थी और उसी दिन से श्रीकृष्ण को गोपाल व गोविंद के नाम से भी जाना जाने लगा। गोपाष्टमी के दिन ही स्वर्ग के राजा इंद्र देव ने अपनी हार स्वीकार की थी। भगवन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली से उतार कर नीचे रखा था। भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गो माता की सेवा करते हुए, गाय के महत्व को सभी के सामने रखा था।
यह बातें आगरा अलीगढ रोड स्थित पराग डेयरी में अस्थाई रूप से बनाई गई गौशाला में गोपाष्टी मे दौरान गौ पूजन करते हुए सदर विधायक हरीशंकर माहौर ने बताई। उन्होंने गऊ की महिमा के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए गौ पूजन करके देश में हो रही गौहत्याओं को कलंक बताया। अचार्य अनिल शास्त्री कथा वाचक द्वारा विधि विधान से वेदमंत्रोंच्चारण के साथ गऊओं का पूजन कराया तथा पूजा अर्चना करने के बाद उन्हें चारा खिलाया गया इसके अलावा गांव रूदायन श्रीरामचैक मंदिर परिसर में भी श्री केशवदास जी महाराज द्वारा गौपूजन किया गया। नगला गढू में सेवानिवृत शिक्षक जनार्दन पाठक ने गोपूजन किया। इसके अलावा विभिन्न जगहोंपर गोपूजन कर गौमाता की आरती उतारी गई तथा प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान ए के मिश्र, डा. हीरालाल, कुलदीप सिंह, ज्ञानेन्द्र, मदन फौजी, हेमसिंह ठेनुआं आदि मौजूद थे।

 

input : avid hussain