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सासनी : बुजुर्गों की साहित्यिक संस्था साहित्यानंद के बैनर तले होली मिलन कार्रक्रम का अयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने अपनी कविताओं की रसधार में सभी को मुत्रमुग्ध कर दिया।
इतवार को कार्यक्रम का शुभारंभी अध्यक्षता कर रहे मोहनलाल द्वारा विधिवत माँ सरस्वती के छबिचित्र के सामने दीप जलाकर एवं माल्यार्पण कर किया गया। तत्पश्चात कवि गगन वाष्र्णेय द्वारा मां सरस्वती वंदना के बाद अपनी कविता में सुनाया कि जहाँ में प्यार कहाँ सत्कार जहाँ देखो वहीं तकरार मानवता चीख रही है। कवि अमर सिंह बच्चा ने सुनाया कि सबसे लड़ कर जीत चुका हूँ। मन से लड़ना बाकी है। कवि वीरेन्द्र जैन नारद ने सुनाया कि उल्फत की क्या खूब सजा दी लोगों ने। प्यार की जलती शमां बुझा दी लोगों ने।।
शायर हनीफ संदली ने सुनाया- पीने की बात कर न पिलाने की बात कर। दुनिया के गम को आज भुलाने की बात कर।। कवि रामनिवास उपाध्याय सुनाया कि रंग बिरंगे दीखते नेताओं के फेस होली में सब धुल गए घोटालों के केस।। डा0शाहिद ने सुनाया कि जीवन में हर इक दिन रंगों की आती मस्त
बहार रहे। तकरार न भूले से हो कभी आपस में शाहिद प्यार रहे।। हास्य कवि वीरपाल सिंह ने अपना रंग यूँ जमाया- कूटनीति और राजनीति की कैसी चल रही चाल। हाथी से लड़ने को देखो गधा ठोकता ताल।। कवि एम पी सिंह ने अपनी कविता में सुनाया कि कर के बी ए पास, पास पत्नी के आए। करबद्ध नमस्ते की शीश चरणों में नाए।। इसके अलावा डा0कय्यूम खां सैफी,हरि गोपाल गुप्त, रवि राज सिंह, रविकांत, मयंक चैहान की कविताओं को भी सराहा गया। अंत में होली की मुबारकवाद दे कर कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्रक्रम का संचालन व्यंग कवि वीरेन्द्र जैन नारद ने किया।

इनपुट : आविद हुसैन

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