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सासनी :  इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है। जो कि उपछाया चंद्रग्रहण होगा अर्थात चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है, जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं। परंतु जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है तब पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है। उपछाया चंद्रग्रहण में कोई सूतक काल नहीं होता है। इसलिए इस चंद्रग्रहण का कोई सूतक काल नहीं होगा।
यह जानकारी देते हुए स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि 26 मई, बुधवार के दिन वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में यह चंद्रमा पर आंशिक ग्रहण दोपहर में करीब सवा तीन बजे शुरू होगा और शाम के समय 7 बजकर 19 मिनट तक जारी रहेगा। उन्हीं ग्रहण का धार्मिक महत्व माना गया है जोकि लोगों को खुली आंखों से दिखाई देते हैं, उपच्छाया ग्रहण खुली आँखों से दिखायी नही देने के कारण ज्योतिष शास्त्र में इनको मान्यता नहीं दी जाती। यह चंद्र ग्रहण प्रशांत महासागर, पूर्वी एशिया, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों सहित ऑस्ट्रेलिया,जापान, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, बर्मा, सिंगापुर, फिलीपींस, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका में दिखेगा। स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया उपछाया ग्रहण में किसी भी तरह के धार्मिक कार्यों पर पाबंदी नहीं होती है इसलिए इस दिन सूतक काल नहीं माना जाएगा ग्रहण काल के दौरान भी मंदिर के कपाट बंद नहीं होंगे साथ ही किसी भी तरह के शुभ कार्यों पर रोक नहीं रहेगी परंतु फिर भी ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए अपनी सावधानी वरतनी चाहिए भोजन के ऊपर कुशा एवं तुलसी पत्ती रखनी चाहिए, गर्भवती महिलाओं को धारदार वस्तु जैसे चाकू आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए, पशुओं पर गेरू लगाकर सूतक के प्रभाव से बचा जा सकता है।

इनपुट : आविद हुसैन

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