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हाथरस : कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों के भरण पोषण, शिक्षा और सुरक्षा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ने आज उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारंभ किया।
जिलाधिकारी रमेश रंजन की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का लाइव प्रसारण प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया। जिलाधिकारी रमेश रंजन ने चिन्हित 20 बच्चों को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की तथा रू0 4000 मासिक की दर से 3 महीने की धनराशि स्वीकृत की गई। कोविड-19 के संक्रमण से माता/पिता की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड-19 से अभिभावकों की मृत्यु के दृष्टिगत शासन द्वारा इस योजना के तहत 0-18 वर्ष के बच्चों के अभिभवकों/संरक्षको को रू0 4000 प्रतिमाह कि दर से उनके भरण पोषण, शिक्षा और सुरक्षा के लिए दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों का एडमिशन आवासीय विद्यालयों में भी कराया जा सकता है । जिलाधिकारी ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को कोविड-19 से हुई अभिभावकों की मृत्यु के दृष्टिगत उनके बच्चों को विभाग द्वारा संचालित योजनायों का भी लाभ दिलाने के निर्देश दिए।जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए जिलाधिकारी तथा मुख्य विकास अधिकारी को बुके भेंट कर उनका स्वागत किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से जनपद में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत में 20 बच्चों को चिन्हित किया गया हैं। जिसमें से 4 बच्चों ने अपनी मां, 15 बच्चों ने अपने पिता को तथा एक बच्चे ने अपने माता एवं पिता दोनों को खोया है। इस योजना के तहत कोविड-19 से प्रभावित हुए बच्चों के संरक्षण एवं देखरेख हेतु शासन द्वारा रू0 4000 प्रति माह की दर से उनके भरण-पोषण शिक्षा और सुरक्षा के लिए दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बच्चों को सरकारी बाल देखरेख संस्थाओं में निशुल्क आवास, 11 से 18 वर्ष के सभी बच्चों को कक्षा 12 तक की निशुल्क शिक्षा कस्तूरबा गांधी बालिका अटल आवासीय विद्यालयों में बच्चों को प्रवेश दिला सकते हैं, जिसके लिए रुपए 12000 प्रतिवर्ष दिए जाएंगे बालिग बालिकाओं के विवाह हेतु इस योजना के तहत प्रशासन द्वारा रू0 एक लाख एक हजार का आर्थिक सहयोग दिया जाएगा। कक्षा-9 या इससे ऊपर/व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे 18 वर्ष तक के बच्चों को टेबलेट/लैपटॉप दिया जाएगा। बालिग होने तक बच्चों की चल अचल संपत्ति की कानूनी एवं विधिक सुरक्षा प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के पात्र लाभार्थी को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना अनिवार्य है। जिनके दोनों माता-पिता/ माता या पिता/वैध अभिभावक/आय अर्जित करने वाले अभिभावक की मृत्यु कोविड-19 के संक्रमण के कारण से 1 मार्च 2020 के बाद मृत हुई हो। आय अर्जित करने वाले अभिभावक की मृत्यु की स्थिति में परिवार की आय रू0 दो लाख प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवेदन की प्रक्रिया के लिए स्वयं सत्यापित ऑफलाइन आवेदन ग्राम विकास, पंचायत अधिकारी, विकासखंड अधिकारी, लेखपाल, तहसील या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जमा किया जा सकता है। माता-पिता दोनों या एक की मृत्यु के 2 वर्ष के भीतर आवेदन करना अनिवार्य है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य विकास अधिकारी आर0बी0 भास्कर, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति रितु रानी अग्रवाल, महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम, संरक्षण अधिकारी विमल कुमार शर्मा, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी दीपक कुमार, सदस्य बाल कल्याण समिति एन0के0 पचैरी, प्रोबेशन कार्यालय से राम जी वर्मा, वीरेंद्र, जिला बाल संरक्षण इकाई से प्रवीण यादव, प्रतिष्ठा शर्मा, कंचन यादव, शिव प्रसाद, कैलाश चंद, बंटी कुशवाह तथा बच्चों के साथ अभिभावक संरक्षक आदि उपस्थित रहे।
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