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अलीगढ़ : हमारे देश की संस्कृति को प्रकृति के प्रति लगाव हेतु आये दिन पर्व त्योहारों के माध्यम से देखा जा सकता है जिसमे वृक्ष,नदी, जानवर आदि का पूजन एवं उनके सम्मान में अनेकों पर्व और त्योहार मनाये जाते हैं इसी क्रम में प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भारतवर्ष में मां गंगा को समर्पित गंगा दशहरा मनाये जाने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन धरती पर मां गंगा अवतरित हुई थीं।
शहर के स्वर्ण जयंती नगर स्थित वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने गंगा दशहरा के पावन पर्व के विषय में जानकारी स्पष्ट करते हुए कहा कि इस बार दशमी तिथि गुरुवार 9 जून प्रातः 8 : 23 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार, 10 जून प्रातः 7: 27 मिनट तक रहेगी।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गंगा नदी को अत्यंत पवित्र माना गया है जिसके चिंतन मात्र से व्यक्ति के पापों का नाश तो होता ही है साथ ही दशहरा की शुभ तिथि को गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने से 10 तरह के पापों जिनमें 3 कायिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक से मुक्ति मिलती है।इस दशहरा ग्रह-नक्षत्रों से मिलकर चार शुभ योगों का निर्माण हो रहा हैं। गुरु-चंद्रमा और मंगल का दृष्टि संबंध रहेगा इससे गज केसरी और महालक्ष्मी योग का निर्माण होगा वहीं, वृष राशि में सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग बनेगा इसके अलावा, सूर्य और चंद्रमा के नक्षत्रों से पूरे दिन रवि योग रहेगा।
गंगा स्नान एवं दान पुण्य के मुहूर्त को लेकर स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में ही भागीरथ के पूर्वजों का उद्धार करने के लिए मां गंगा ने  धरती पर अवतार लिया था।इसलिए हस्त नक्षत्र में पूजा-पाठ और मांगलिक कार्य पूर्णत: सफल माने जाते हैं गंगा दशहरा पर हस्त नक्षत्र सुबह 4 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगा साथ ही सुबह 8:23 मिनट से दोपहर 02:05 मिनट तक शुभ योग एवं सुबह 11:51 मिनट से दोपहर 12: 45 मिनट तक सफलता योग रहने के कारण इस शुभ घड़ी में दान स्नान का महत्व विशेष फलदायी होगा।दशहरा के दिन जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन व सुहाग सामग्री, नमक, तेल, गुड़ और स्वर्ण दान करने का विशेष महत्व होता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति सभी संकटों से छुटकारा पा सकता है और व्यक्ति के बिगड़े काम भी अपने आप बनने लगते हैं।\

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