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10 ग्राम देसी गाय का घी देता है 1 टन ऑक्सीजन :मुरलिका शर्मा
अलीगढ। शहर के आगरा रोड स्थित राधा रमण गौशाला में विगत सात दिनों से चल रही भक्तमाल कथा का समापन महायज्ञ एवं प्रसाद के साथ हुआ। मिट्टी एवं गाय के गोबर से निर्मित नौ कुण्डीय महायज्ञ का आयोजन वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष एवं ज्योतिर्विद स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में विद्वान् वेदपाठी ब्राह्मणों के द्वारा किया गया।
बरसाने से आयीं विश्वविख्यात कथा व्यास मुरलिका शर्मा के श्री मुख से चल रही भक्तमाल कथा के अंतिम दिन वैदिक ज्योतिष संस्थान प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के दिशा निर्देशन में आचार्य गौरव शास्त्री, ऋषि शास्त्री, रवि शास्त्री, शिवम शास्त्री, ऋषभ वेदपाठी,ओम वेदपाठी आदि अचार्यों ने 9 कुण्डीय यज्ञ में प्रति कुंड के मुख्य यजमान के साथ अन्य यजमानों द्वारा विधिवत पूजन अर्चन करवाया एवं श्री शूक्त, पुरुशूक्त, कनकधार, एवं सप्तशती के श्लोकों एवं वेदमन्त्रों के साथ आहुतियाँ छुड़वाईं। इस अवसर पर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया की प्राचीन काल से यज्ञ अनुष्ठान की परम्परा देखने को मिलती हैं यज्ञ का शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक प्रमाण है यज्ञ के माध्यम से बड़ी से बड़ी महामारी जैसे रोगों से निजात मिल सकता है क्योंकि यज्ञ में दीं गयीं आहुतियाँ औषधीय गुणों से प्रचुर होतीं हैं। विगत कुछ वर्षो से चल रही कोरोना जैसी घातक महामारी भी यज्ञ के द्वारा ही नष्ट की जा सकती हैं,साथ ही यज्ञ से उत्पन्न धुआँ वर्षा करने के लिए भी आवश्यक है परंतु आज हम अपनी संस्कृति को भूलकर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे हैं वायु को शुद्ध करने के लिए यन्त्रों का उपयोग कर रहे हैं जिससे अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ रहीं हैं और प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो रहा है।
पूर्णआहुति में सम्मिलित होने के लिए आयीं कथा व्यास मुरलिका शर्मा ने गाय के देसी घी और यज्ञ के विषय में अपने आशीर्वचनों के माध्यम से बताया कि आज कई अनुसन्धान हमारी संस्कृति और हमारे द्वारा किये जा रहे पूजा पाठ पर चल रहे हैं,उन्होंने बताया कि विभिन्न अनुसन्धानों के माध्यम से प्रमाणित है कि 10ग्राम देशी गाय के घी से 1 टन ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। आज हम लोग ज्यादातर सिंथेटिक वस्तुओं और रसायनों का प्रयोग कर रहे हैं परंतु देसी वस्तुओं का परित्याग करते जा रहे हैं। प्राचीन काल में लोगों कि उम्र जो कि 100 वर्ष या उससे अधिक हुआ करती थी जो कि आज के समय में बहोत अधिक कम हुई है जिसका एक मात्र कारण हम अपनी सभ्यता को भूलकर पश्चिमी सभ्यता अपना रहे है।
यज्ञ अनुष्ठान के उपरांत प्रसाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें प्रमोद वार्ष्णेय,गगन गुप्ता,सौरभ शर्मा,गोपाल,आरके जिंदल, मुकेश लिम्का,गोपाल नईदुनिया, अरुण अचार,दीपेंद्र गुप्ता,मधुर राठी,राजीव महेश्वरी,नीरज बंसल, कुलदीप केवी आदि लोगों का सहयोग रहा।

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