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हाथरस : कड़कनाथ मुर्गा पालन फायदे का कारोबार है। यह सामान्य मुर्गा से कई गुना महंगा बिकता है। इसका रखरखाव व लागत कम हैं। इसके खाने में कई बीमारियों से फायदा पहुंचता है। कड़कनाथ एकमात्र काले मांस वाली नस्ल है। इसे काली मासी नाम से भी जाना जाता है। इसके त्वचा, मांस, टांग, पंजा, हड्डी, चोंच, जीभ, पंख आदि सभी काले रंग के होते हैं। कड़कनाथ के मांस में मेलानिन नामक पिगमेंट पाया जाता है जिससे इसका मांस काला होता है। कड़कनाथ का मांस विशेष स्वाद वाला होता है। इसमें उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। तमाम तरह के औषधीय गुण के कारण, कम लागत में लाभ अधिक प्राप्त होने के कारण इसकी मांग बहुत ज्यादा हो रही है। अन्य मुर्गों की तुलना में इसकी मृत्यु दर काफी कम है। जिससे लाभ अधिक होता है। इसमें उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत जबकि अन्य मुर्गों में 18 से 20 प्रतिशत होती है। इसमें 18 प्रकार के एमिनो एसिड पाए जाते हैं। इसके मांस में लिनोलिक एसिड की मात्रा 24 प्रतिशत तथा सामान्य ब्रायलर में 21 प्रतिशत तक होती है। विटामिन बी1, बी2, बी6, बी12 तथा विटामिन सी तथा विटामिन ई इसके मांस में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। सामान्य ब्रायलर में वसा की मात्रा 13 से 25 प्रतिशत तक होती है जबकि कड़कनाथ में बहुत कम 0.75 से 1.05 प्रतिशत तक होती है। इसमें कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 180 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाई जाती है जबकि सामान्य ब्रायलर में 218 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होती है। जो कि हृदयाघात तथा उक्त रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस समुचित मात्रा में पाया जाता है। इसका मांस कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग, श्वास रोग तथा प्रजनन से संबंधित समस्याओं के निदान में भी बहुत ही उपयोगी है। इसका मांस कामोद्दीपक माना जाता है। जो प्रजनन शक्ति को बढ़ाने में सहायक है। इसका उपयोग एक विशेष तंत्रिका विकार के इलाज में उपयोगी है। इसका अंडा भी बहुत ही पौष्टिक होता है। यह भूरे रंग का होता है। इसके अंडे का उपयोग सिरदर्द, नेफ्रेटिस, अस्थमा के लिए किया जाता है। बाजार में इसका मूल्य रु50 से 100 प्रति अंडा है। इसके मांस की पौष्टिकता व गुणों के कारण इसकी कीमत रु. 800 से 1200 प्रति किलोग्राम बाजार में है। उपरोक्त गुणों के कारण ही इसका पालन पूरे देश में बढ़ रहा है।
किसान भाइयों के लिए इसका पालन पोषण बहुत आसान है। इसकी 3 प्रजातियां होती हैं, जेट ब्लैक , गोल्डन , पेंसिल्ड । इसके लिए छोटे स्तर से या बड़े स्तर पर शुरुआत कर सकते हैं। किसान अपने घर पर छोटा सा दड़बा बनाकर पाल सकते हैं। इसके आवास के लिए प्रति मुर्गा 1 से 1.5 वर्ग फीट की आवश्यकता होती है। आवास पूर्व पश्चिम दिशा में रखते हैं। इसकी दीवार की ऊंचाई कुल 8 फिट रखते हैं जिसमें 6 फुट जाली तथा 2 फिट ईंट की दीवार बनाते हैं। फर्श पक्का रखते हैं। छत एस्बेस्टस, फाइबर, टिन या पक्का बना सकते हैं। इसके लिए विशेष आवास की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। इसके लिए विशेष आहार की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि यह एक घुमंतू प्रजाति है। घूम घूम कर अपना पेट भर लेती है। यदि व्यवसायिक के रूप से इसका पालन करते हैं तो इसको कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन की संतुलित मात्रा देनी चाहिए। इसको आहार उम्र के हिसाब से प्रीस्टार्टर 0-4 सप्ताह, स्टार्टर 5-8 सप्ताह तथा फिनिशर 9 सप्ताह के बाद तक देते हैं। इसके आहार में बाजरा, मक्का, राइस ब्रान, सोया मिल आदि प्रमुख रूप से होता है। आजकल बाजार में बना बनाया आहार मिलता है उसे खिलाया जा सकता है। पानी साफ व शुद्ध हर समय उपलब्धता होनी चाहिए। समय समय पर लगने वाली विभिन्न बीमारियों जैसे मैरेक्स, रानीखेत, गम्बेरो बीमारियों के टीके लगवाते रहना चाहिए। जनपद में कृषि विज्ञान केंद्र हाथरस में कड़कनाथ का पालन लगातार हो रहा है जो बिक्री व प्रदर्शन हेतु किसानों के लिए उपलब्ध है। कृषि विज्ञान केंद्र, हाथरस के डॉ सुधीर कुमार रावत, वैज्ञानिक पशुपालन से संपर्क करकेे जो भी किसान इसको पालन चाहते हैं, पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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