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अलीगढ़ : राजकीय कृषि एवं औद्योगिक प्रदर्शनी अलीगढ़ के कृष्णांजलि हाल में हिंदी प्रोत्साहन समिति कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कारागार अधीक्षक श्री विजेंद्र सिंह यादव, विशिष्ट अतिथि संत सुनील कौशल जी महाराज श्रीमती मृदुल वार्ष्णेय व्यवस्थापिका मां मृदुल आनंदमयी आश्रम, देवेंद्र राघव राज आयुर्वेद कचौरा ,अहिंसा फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री राकेश सक्सेना समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेन्द्र दीक्षित शूल , संयोजक पवन गांधी आदि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जेल अधीक्षक विजेंद्र सिंह यादव ने हिंदी के लिए 30 वर्षों से काम कर रही संस्था हिंदी प्रोत्साहन समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की प्रशंसा की । उन्होंने कहा कि मैं सभी कार्य हिंदी में भी करता हूं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र शूल ने कहा कि मातृभाषा हिंदी को विश्व के अधिकांश लोग जानते हैं । कुछ लोग राजनैतिक स्वार्थ से विरोध करते हैं । हम सभी का दायित्व बनता है कि हिंदी के प्रोत्साहन प्रचार प्रसार हेतु तन मन धन से कार्य करें । श्री शूल ने कड़ाई के साथ कहा कि किसी भी विभाग में हिंदी की उपेक्षा सहन नहीं की जाएगी।
डॉ राकेश सक्सेना ने कहा कि दुर्भाग्य है कि संविधान में व्यवस्था होने के बाद भी हिंदी को वह सम्मान नहीं मिला । सनी अन्य कार्यक्रमों के लिए काफी पैसा दिया जाता है और हिंदी के लिए बहुत कम इस पर भी विचार किया जाएगा ।
समिति के पदाधिकारियों एवं अतिथियों ने हिंदी विषय में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को सम्मानित किया। कुछ विशिष्ट अंक वाले छात्र-छात्राओं को हिंदी शब्दकोश भी प्रदान किये गये।
इस अवसर पर बाहर से आये हिंदी विद्वानों, कवियों ने हिंदी के विषय में प्रकाश डाला और कविताएं भी पढ़ीं।
लखनऊ से पधारे डॉ रामनरेश पाल ने ड्यूटी लिविंग पर खूब वाहवाही लूटी।
वहीं वृन्दावन के मोहन मोही नहीं पढ़ा’- सावन राखी दीवारी की ज्योत ओ फागुन में पिचकारी सी हिंदी है।
गाजियाबाद से वैभव शर्मा ने पढ़ा -पुण्य भूमि भारत पर सहस्रों जन्म कुर्बान है।
रखना क्या देह से मोह जो क्षण भर की मेहमान है।
गंगीरी से पंडित रवि शर्मा वेदर्द ने पढ़ा हाय है बड़े जख्म फूलों की चोट से।
अतरौली से डॉ संगीता राज के गीत पर लोग झूम उठे।
वहीं श्रीमती मृदुल वार्ष्णेय ने पढ़ा -हिंदी है जन-जन की भाषा हिंदी से हम सबको आशा ।
अलीगढ़ से वरिष्ठ कवि अरविंद संवेदित आदि ने अपनी कविताओं से उपस्थित सैकड़ों श्रोताओं में मातृभाषा हिंदी के प्रति रुचि उत्पन्न की ।
इस अवसर पर एन सी सी के अधिकारी और सदस्य उपस्थित रहे।
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