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हाथरस : कोतवाली हाथरस गेट क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव की नाबालिग बच्ची को हजारों किलोमीटर दूर महाराष्ट्र से मुसीबत से निकाल परिवार को सौंपने का सराहनीय काम जिला प्रोबेशन अधिकारी सीमा मौर्या के मार्गदर्शन में संरक्षण अधिकारी विमल कुमार शर्मा एवं सामाजिक कार्यकत्री प्रतिष्ठा शर्मा ने किया है। दरअसल इंटर की छात्रा रही बिटिया गर्मियों की छुट्टियों में मामा के यहाँ मुंबई (महाराष्ट्र) के लिए निकली थी, लेकिन गलतफ़हमी का शिकार हुई बिटिया गलत ट्रेन और गलत स्टेशन पर पहुंच गई। सूत्रों की माने तो वह रेलवे-स्टेशन मुंबई की अंतिम छोर पर था और उसके मामा के यहाँ से करीब पांच सौ किलोमीटर दूर था। जब परिवारीजनों को इसकी जानकारी हुई तो उनके पैरों तले की जमीन निकल गई। मामला चूंकि हजारों किलोमीटर दूर का था और बिटिया का मामा तत्काल मौके पर नहीं पहुंच सकता था। अंजान शहर, लंबा रास्ता और मुसीबत में फंसी बिटिया पर उस वक्त और मुसीबत टूट पड़ी जब कुछ असमाजिक तत्वों ने उस पर गिद्ध दृष्टि जमा ली। मुसीबत की मार और घबराहट में पड़े परिवारीजनों पर उस वक्त यह कहावत चरितार्थ हुई (डूब ते को तिनके का सहारा) अर्थात परिजनों की जब एक अधिवक्ता से मुलाकात हुई तो तत्काल जिले के बाल संरक्षण अधिकारी विमल कुमार शर्मा से संपर्क साधा गया। बस फिर क्या था, संरक्षण विभाग की पूरी टीम के सहयोग से तत्काल रेलवे पुलिस से संपर्क साध कर बिटिया को सुरक्षित स्थान नारी सुरक्षा गृह/ बालिका गृह पर सुरक्षित पहुंचाया गया।इसके बाद सरकारीऔपचारिकता यथाशीघ्र पूरा करने के बाद अब बिटिया सकुशल अपने परिजनों के पास आ गई है। जिला प्रोबेशन अधिकारी ने जनपद में महिला अधिकारियों के उदाहरण देते हुए परिवारीजनों को बिटिया की शिक्षा को निरंतर जारी रखने के साथ कोई समस्या आने पर विभाग को अवगत कराने हेतु प्रेरित किया।
सभी परिजनों ने जिला प्रोबेशन अधिकारी सीमा मौर्या, संरक्षण अधिकारी विमल कुमार शर्मा, समाजिक कार्यकत्री प्रतिष्ठा शर्मा का आभार व्यक्त किया गया ।

क्या कहते हैं संरक्षण अधिकारी
बालिका के घर से अचानक चले जाने की सूचना सुनकर थोड़ी परेशानी तो हुई लेकिन वहां के स्थानीय रेलवे पुलिस बल और जिला बाल संरक्षण इकाई के सहयोग से हमने इस प्रकरण में सफलता प्राप्त की है। आज बिटिया सकुशल अपने परिवार के साथ है। इस मौके पर हम यह ही कहना चाहेंगे कि आज के बदलते परिवेश में हर अभिभावक/ संरक्षक को भी चौकन्ना रहना चाहिए और प्रथमिक विधिक ज्ञान की जानकारी रखने के साथ ऐसे प्रकरणों की सूचना तत्काल संबंधित थाने या जिला बाल संरक्षण इकाई को अवश्य देनी चाहिए। ।
विमल कुमार शर्मा, संरक्षण अधिकारी, हाथरस।

INPUT – DEV PRAKASH

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