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अलीगढ : भगवान शिव के भक्तो के लिए कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना मोक्ष प्राप्त करने के समान माना जाता है।भोलेनाथ के दर्शन करने को प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते है। पाँच कैलाश में एक आदि कैलाश भारत के उत्तर में स्थित उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है जिसे भी प्राचीन भारतीय वैदिक-पुराणों में कैलाश मानसरोवर के समान पुण्यदायक बताया गया है। प्रति वर्ष सैकणों की संख्या में शिवभक्त दर्शन हेतु आदि कैलाश की यात्रा करते हैं और ऊबड़ खाबड़ रास्ते एवं कष्टयुक्त यात्रा होते हुए भी आनंदित होकर शिव को पाने की लालसा में निरंतर आगे बढ़ते हैं। इसी क्रम में अलीगढ शहर के ज्योतिर्विद एवं वैदिक ज्योतिष संस्थान के पूज्य संत स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के निर्देशन में 30 सितंबर को 6 सदस्यीय जत्थे के साथ आदि कैलाश यात्रा प्रारंभ की गयी थी जो कि पहले दिन कैंची,अल्मोड़ा के रास्ते धारचूला के निरीक्षण भवन में रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन नारायण आश्रम,सिरखा,मालपा, बुधी, छियालेख आदि स्थानों से होते हुए गुंजी स्थित KMVN में रात्रि विश्राम लिया। अगले दिन प्रातः भारतीय सीमांत गांव कुटी होते हुए ओम पर्वत दर्शन को रवाना हुए यात्रा की श्रृंखला में शारदा नदी के उदगम स्थान कालापानी स्थित काली माता मंदिर,व्यास गुफा, शेषनाग पर्वत,एवं नाभिढाग आदि दिव्य और रमणीक स्थानों के दर्शन करते हुए तथा शहर की मंगलमय कामना हेतु अनेकों पूजा अनुष्ठान यज्ञ के माध्यम से शिव आराधना की जहाँ पर इंडो तिब्बत बॉर्डर सेना के जवानों ने शाल ओढ़ाकर स्वामी जी का स्वागत किया। समुद्रतल से 6191 मीटर यानि 20312 फीट ऊपर भारत तिब्बत सीमा पर लिपलेख दर्रे के निकट ओम पर्वत पहुँचने के उपरांत स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज,आचार्य गौरव शास्त्री द्वारा यज्ञ,पूजा पाठ एवं स्तुति पाठ किये गए इस बीच स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने बताया कि ओम पर्वत के दर्शन और पूजा मात्र से ब्रह्मा,विष्णु,शिव तीनों देवों के दर्शन करने का ही फल मिलता है। ओम पर्वत दर्शन के उपरांत जत्था का पुनः गुंजी में रात्रि |

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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