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देवता भी भूलोक पर आकर करते हैं महावारुणी स्नान : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ। वैदिक ज्योतिष संस्थान के तत्वावधान में ऋषिकेश स्थित गंगा घाट पर वारुणी पर्व का विशेष स्नान एवं श्राद्ध तर्पण अनुष्ठान किया गया,
शनिवार को चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को लगे वारुणी नाम के महायोग में जहाँ शनिवार तथा शतभिषा नक्षत्र का एक साथ योग होने पर कई वर्ष बाद संयोग देखने को मिला जिसके उपलक्ष्य में जगह जगह श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट की वहीं स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री,ऋषभ शास्त्री,ओम वेदपाठी आदि अचार्यों ने संस्थान के सदस्यों द्वारा विधिवत पूजा अनुष्ठान एवं तर्पण करवाया।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने इस अवसर पर बताया कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शतभिषा नक्षत्र होने के कारण महावारुणी योग बनता है,यह योग कई वर्षों बाद देखने को मिलता है और हम सभी सनातन प्रेमियों का सौभाग्य है कि इस योग में गंगा स्नान का पुण्य सभी को मिल रहा है इसकी विशेष मान्यता है कि इस योग में गंगा स्नान से तीन करोड़ पीढ़ी का उद्धार हो जाता है तथा एक करोड़ सूर्य ग्रहण में स्नान करने का पुण्य फल प्राप्त होता है,इस दिन के स्नान,दान एवं श्राद्ध कार्य अक्षय फल देने वाला होता है तथा सृष्टि चक्र अपने शुभ स्तर पर होता है,इसलिए इसे देवताओं के लिए भी असाध्य और कठिन बताया गया है क्योंकि उन्हें भी इस स्नान का फल लेने के लिए पृथ्वी पर आना पड़ता है,साथ ही धर्म सिंधु, काशी आदि महत्वपूर्ण ग्रंथों में इस संयोग का उल्लेख देखने को मिलता है जिससे इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
स्नान एवं तर्पण के उपरांत सभी भक्तों ने माँ गंगा की आरती एवं स्तुति करके दीपदान किया इस अवसर पर तेजवीर सिंह,राहुल सिंह,शिब्बू अग्रवाल,कपिल ठाकुर,नवीन चौधरी,कृष्णा जादौन सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

INPUT – VINAY  CHATURVEDI

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