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न और मस्तिष्क का विकास करतीं है शैलपुत्री माँ : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज
अलीगढ। देवी दुर्गा के नौ दिवसीय महापर्व चैत्र नवरात्रि का आरंभ मंगलवार से हो चुका है। देश भर में देवी के पहले स्वरुप शैलपुत्री का पूजन अर्चन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया गया इसी क्रम में वैदिक ज्योतिष संस्थान पर भी घट स्थापना के साथ नौ दिवसीय शतचंडी अनुष्ठान आयोजन का प्रारंभ किया गया।
मंगलवार प्रातः स्वर्ण जयंती नगर स्थित सीजन्स अपार्टमेंट स्थित वैदिक ज्योतिष संस्थान के कार्यालय पर महामंडलेश्वर स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज के सानिध्य में आचार्य गौरव शास्त्री,रवि शास्त्री,ऋषभ वेदपाठी,ओम शास्त्री आदि आचार्यों ने मुख्य यजमान शहर के उद्योगपति श्री धनजीत बाड़रा, प्रीति बाड़रा, धनदेव बाड़रा,एवं शिक्षाविद श्री राकेश नंदन, शीतल नंदन द्वारा देवी के प्रथम स्वरुप का विधि विधान से पूजन एवं गुलाब के फूलों से अर्चन किया गया।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने देवी के स्वरुप के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में एक शैलपुत्री माँ का पूजन नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है,हिमालय के वहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण उनका नामकरण हुआ शैलपुत्री। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए इनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता हैं।देवी के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।माँ शैलपुत्री की सक्रियता से मन और मस्तिष्क का विकास होने लगता है। अंतर्मन में उमंग और आनंद व्याप्त हो जाता है।
सांयकालीन बेला में महाआरती हुई जिसमें रजनीश वार्ष्णेय,गगन वार्ष्णेय, नीति वार्ष्णेय,तेजवीर सिंह,शिब्बू अग्रवाल, पवन तिवारी, जितेन्द्र गोविल, वृजेंद्र बशिष्ट राहुल ठाकुर, नवीन चौधरी, सचिन, ध्रुव, निपुण आदि लोग उपस्थित रहे।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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