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सासनी के कन्यागुरुकुल महाविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयंती का सुभारम्भ हुआ। और बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस मोके पर बालिकाओं ने हवन यज्ञ, भजन,करते भाग लिया और उनके बताये मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया गया। जिस प्रकार महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अंग्रेजी राज में स्वदेशी अलख जगाया और समस्त देशवासिओ में राष्ट्रवाद की भावना का संचार कर सर्वप्रथम मनुष्य बनने की प्रेरणा दी। दयानन्द सरस्वती ने स्वदेशी राज्य सर्वोपरि बताया। उन्होंने ने समाज में महिलाओं की इस्थिति सुधारने के लिए अनेक कार्य किये,यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता, की भावना से स्त्री को वेद पढ़ने का अधिकार दिलाया और कहा कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है उस स्थान पर देवताओं का वास होता है। इस प्रकार की भावी पीढ़ी को प्रेरणा दी गई, जिससे भारत देश फिर से संसार शिरोमणि कहला सके। इस प्रकार ऋषि दयानन्द के बताये मार्ग पर बालिकाएं चलेंगी तो निश्चित ही एक अच्छे सूद्रढ, व्यवस्थित राष्ट्र का निर्माण करेंगी। गुरुकुल में में ऋषि दयानन्द के जन्म जयंती के साथ ही यजुर्वेद पारायण महायज्ञ का भी शुभारम्भ हुआ। जो कि (बोध रात्रि) शिवरात्रि पर संम्पन्न होगा । यह जानकारी गुरुकुल की स्नातिका ललितेश विद्यालंकार द्वारा दी गई।

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