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सिकंदराराऊ – विमल साहित्य संवर्धक संस्था के तत्वावधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें हिंदी को समर्पित शानदार काव्यपाठ हुआ। साथ ही इस मौके पर हिंदी रचनाकारों को सम्मानित एवं प्रोत्साहित भी किया गया। काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता हरपाल सिंह यादव एवं संचालन अवशेष कुमार विमल ने किया।

काव्यगोष्ठी की शुरुआत कासगंज के मशहूर गीतकार डॉ. अजय अटल की वाणी वंदना से हुई। इगलास से पधारे घुमक्कड़ कवि ने हिंदी के नाम पढ़ा-
जिओ हमेशा सीना तान,
बोलो हिंदी मधुर जुबान।।

एटा के गीतकार सर्जन शीतल ने हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए पढ़ा –

हिंदी भाषा प्राण है, पूर्ण देश है देह।
हिंदी पाठन पठन से,सुरभित होता गेह।।

डॉ. अजय अटल ने यह गीत सुनाकर समा बाँधा-
भारत की माटी है, देवों ने चाटी है
हिंदी ने प्रेम गन्ध देश देश बाँटी है।।

विवेकशील राघव की पंक्तियाँ थीं-
हमारे भाव की अभिव्यक्ति को वरदान है हिंदी।
हमारे देश का गौरव, हमारी शान है हिंदी।।

शिवम कुमार आज़ाद ने हिंदी के नाम दोहा पढ़ा-
हिंदी उर्दू हैं सगी, दो बहनों के नाम।
हिंदी तुझे प्रणाम हैं, उर्दू तुझे सलाम।।

कवि पंकज पण्डा ने संकल्पपूर्ण छन्द पढ़ा-
हिंदी मातृभाषा में है ,आशाएं तमाम उसे,
विश्व के पटल पर हम पहुँचायेंगे।

अवनीश यादव ने पढ़ा-
मेरी भाषा हिन्दी मेरे देश की भाषा हिन्दी।
मैं हिन्दी का बेटा हूं है माता मेरी हिन्दी।।

अवशेष विमल ने हिंदी प्रशंसा में यह गीत पढ़ा –
हिंदी है अमन की भाषा, हिंदी है चमन की भाषा
सदाचार की बात करें तो, हिंदी है नमन की भाषा

इनके अलावा उन्नति भारद्वाज, अरविंद शर्मा, ललित मोहन भारद्वाज और देव यादव ने भी काव्यपाठ किया। अंत में गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हरपाल सिंह यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें हिंदी से अटूट सम्बन्ध जोड़कर रखना है, क्योंकि समाज में संस्कारों का प्रवाह हिंदी ही कर सकती है, अंग्रेजी नहीं। संस्था के सभी पदाधिकारियों ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

input: अनूप शर्मा