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लखनऊ : आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा तृतीय इंटरनेशनल आरोग्य मेले का आयोजन 22 फरवरी से अवध शिल्पग्राम में किया जा रहा है। चार दिवसीय आयोजन में आयुष चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार, क्षमता विकास तथा वैश्विक मान्यता पर चर्चा, सत्रों में विमर्श चल रहा है। जिसमें 60 देशों के 250 से अधिक प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं। हाथरस जिले के प्रमुख व्यापारी देवेंद्र राघव सह संयोजक के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आयुष मंत्रालय भारत सरकार के केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय आरोग्य 2024′ का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर राज्यमंत्री आयुष मंत्रालय भारत सरकार डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई, उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ब्रजेश पाठक व अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने राज आयुर्वैदिक फार्मेसी की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। हाथरस जिले के प्रमुख व्यापारी एवं राज आयुर्वैदिक फार्मेसी के एमडी देवेंद्र राघव ने भगवान धन्वंतरि का चित्र भेंट करके एवं पटका उढा कर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्वानंद सोनोवाल का स्वागत किया।
देवेंद्र राघव ने बताया कि इस अंतरराष्ट्रीय मंच के माध्यम से लोगों को भारत ही नहीं, विदेशों में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को लेकर हो रहे शोध, अनुसंधान की जानकारी से लेकर, इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुभवों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।’अंतरराष्ट्रीय आरोग्य-2024’ का आयोजन भारत की चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा, जो कि सार्वजनिक आरोग्य क्षेत्र में एक मील का पत्थर की तरह होगा। यह चार दिवसीय आयोजन एक ऐसे मंच के रूप में प्रदर्शित होगा जो कि आयुष चिकित्सा पद्धतियों की वर्तमान सीमाओं से आगे जाकर, इनकी वास्तविक क्षमताओं पर मंथन करेगा, तथा वैश्विक स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य को इन पद्धतियों के माध्यम से बेहतर बनाने के लिए परिवर्तनकारी भूमिका तैयार करेगा।
श्री राघव ने कहा कि भारत की प्राचीन आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियां, जिन्हें संयुक्त रूप से ‘आयुष’ के नाम से जाना जाता है, विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध चिकित्सा प्रणालियों में से एक हैं। भारत के लगभग 5000 वर्ष पूर्व के साहित्य अर्थात् वेदों में इनका वृहद उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद का अर्थ है ‘आयुर’ (जीवन) और ‘वेद’ (ज्ञान)। यह प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य की समग्र देखभाल को संरक्षित करती है एवं इसमें जड़ी-बूटियों, औषधियों, आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में सिद्ध, योग, और होम्योपैथी जैसे अन्य तकनीकों का भी विकास हुआ। आज भी आयुर्वेदिक और अन्य प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए उपयोगी हैं और ये विश्वभर में मान्यता प्राप्त भी हैं।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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