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फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी कहा जाता है,इसे आँवल की एकादशी या आंवला एकादशी भी कहा जाता है। पौराणिक परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे। ब्रज में होली का पर्व होलाष्टक से शुरू होता है, वहीं भगवान शिव की नगरी वाराणसी में इसकी शुरुआत रंगभरी एकादशी से हो जाती है। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने आँवला एकादशी तिथि के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि इस बार 19 मार्च को एकादशी तिथि रात्रि 12:21 मिनट से प्रारंभ होकर 21 मार्च रात्रि 2:22 मिनट तक रहेगी ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आँवल एकादशी का व्रत 20 मार्च बुधवार को रखा जाएगा। रंगभरी एकादशी का व्रत और पूजन साधकों को 12 महीने की एकादशी के समान फल देने वाला है,साथ ही इस बार का एकादशी व्रत पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा,पुष्य नक्षत्र 19 मार्च रात्रि 08:10 मिनट से 20 मार्च रात्रि 10:38 मिनट तक रहेगा। एकादशी व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 20 मार्च प्रातः 06:25 मिनट से प्रातः 09:27 मिनट तक है,वहीं एकादशी व्रत पारण करने का समय 21 मार्च को 01:47 मिनट से 04:12 मिनट तक रहेगा।
स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने रंगभरी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा के महत्व के बारे में बताया कि इस दिन उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति हेतु आंवले के वृक्ष की विधि विधान से पूजा करके पुष्प, धूप, दीप,नैवेद्य अर्पित करें और जल चढ़ाकर 9 या 27 अथवा 108 परिक्रमा करने के बाद सौभाग्य और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें। जिससे निश्चित ही आयु,आरोग्य में वृद्धि होगी।

INPUT – VINAY CHATURVEDI

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