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सासनी : विश्वव्यापी महामारी कोरोना काल में सम्पूर्ण देश ऑक्सीजन की कमी के कारण त्राहि त्राहि का कारण बना हुआ है, अगर अब भी हम लोग सचेत नहीं हुए तो यह तबाही भयाभह रूप ले सकती है।
यह बातें शुक्रवार को वैदिक ज्योतिष संस्थान के अध्यक्ष पूज्य स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने लोगों को अधिक से अधिक पौधारोपण के प्रेरित करते हुए बताई। उन्होंने कहा कि आज से ही हम सभी भारतवासियों को पौधारोपण करने का संकल्प लेकर स्वयं पौधा लगाएं साथ ही अपने संबंधियों को प्रोत्साहित करें। उन्होंने स्कन्दपुराण में वृक्षों की उपयोगिता हेतु प्रकाशित श्लोक के माध्यम से बताया मनुष्य के जीवन की रक्षा हेतु जो वृक्ष अत्यंत आवश्यक हैं उनमें 1 अश्वत्थः (पिपल), 1 पिचुमन्दः ( नीम) 1न्यग्रोधः (वट वृक्ष), 10चिञ्चिणी (इमली), 3 कपित्थः (कविट),3बिल्वः (बेल),3 आमलकः (आवला) 5 आम्रः (आम) इस प्रकार जो कोई इन वृक्षों के 26 पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करने पड़ेंगे। इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस परिस्थिति के स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि वृक्ष का उपयोग भी देशकाल परिस्तिथि के ऊपर निर्भर करता है। उन्होने बताया कि गुलमोहर, निलगिरी, जैसे पौधे अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं। प्रत्येक पौधे का अपना उपयोग है पीपल के वृक्ष द्वारा लगभग 100 प्रतिशत कार्बनडाईआॅक्साइड को शोषित करता है, बट वृक्ष 80 प्रतिशत और नीम 75 प्रतिशत सीओ-2 का शोषित करता है। ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर पृथ्वी के तापमान को भी कम करते है। पीपल को वृक्षों का राजा कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक स्थानों पर पीपल, बट, नीम आदि के कम से कम 5 वृक्ष लगाकर एवं घरों में तुलसी के पौधे लगाकर भारत को नैसर्गिक आपदा से बचा सकते है। भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है। इस दौरान तमाम श्रोता मौजूद थे।

इनपुट : आविद हुसैन

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