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हाथरस : कृषि विभाग द्वारा आयोजित जनपद स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी का आयोजन मुख्य विकास अधिकारी, आर०बी०भास्कर की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में किया गया । जिसका विधिवत शुभारम्भ मुख्य विकास अधिकारी, ने दीप प्रज्वलित कर किया। जिला विकास अधिकारी, अवधेश यादव ने कृषकों से कृषि सम्बन्धी विभिन्न समस्यायों की जानकारी कर उनका त्वरित निराकरण कराया। उप कृषि निदेशक, हरनाथ सिंह ने जनपद में खरीफ 2021 की रणनीति पर चर्चा करते हुए बताया कि जनपद का कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल 149283.00 हे0 है। जिसमें 79504.00 हे0 में खरीफ फसल बोई जाती है, जिसमें प्रमुख रूप से बाजरा 47000.00 हे0, धान 24000.00 हे0 क्षेत्रफल में बुवाई की जाती है। शेष में अरहर, उर्द, तिल, मूंग आदि फसलों की बुवाई की जाती है। वर्ष 2021 में 83951.00 हे0 में खरीफ फसलों का आच्छादन एवं उत्पादन 232941.00 मी0 टन का लक्ष्य निर्धारित है, जिसको प्राप्त करने हेतु पर्याप्त मात्रा के बीज उवर्रक एवं कृषि रक्षा रसायन व फसली ऋण की व्यवस्था की जा रही है। जिला कृषि अधिकारी, डिपिन कुमार ने बताया कि लक्ष्यानुसार बीज एवं उवर्रक की व्यवस्था है और निर्धारित शिड्यूल के अनुसार उर्वरकों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जायेगा।
जिला उद्यान अधिकारी, गमपाल सिंह ने बताया कि औद्यानिक मिशन योजनान्तर्गत अमरूद, बेर, नींबू, अनार, की बागवानी के लक्ष्य प्राप्त हो चुके हैं। जिन कृषकों को बाग रोपण कराना हो वह आवेदन करें। खरीफ में प्याज की खेती को बढ़ावा देने हेत अनुदान पर प्रदर्शन कराने की योजना है। प्रधानमंत्री सिंचाई योजनान्तर्गत स्प्रिंकलर ड्रिप इरीगेशन में लघु सीमान्त कृषकों को 90 प्रतिशत अनुदान पर देय है। पशु चिकित्साधिकारी आशीष कुमार शर्मा द्वारा बताया गया कि पशुओं को गलाघोंटू एवं मुंहपका रोग के नियंत्रण के लिए निःशुल्क टीकाकरण कराया जा रहा है। सैक्स सीमन की योजनान्तर्गत साहीवाल, गिरि आदि का सीमन सभी पशु चिकित्सालयों पर उपलब्ध है। इसके टीका के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कराने पर बछिया प्राप्त होगी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी यतेन्द्र सिंह ने बताया कि खरीफ बीजों की बीज शोधन थीरम या कार्बेन्डाइजिम से करके बुवाई करें। उन्होंने धान, बाजरा में लगने वाले कीट रोगों के नियंत्रण हेतु संस्तुति रसायन के विषय में बताया है। फफूंदी जैसे रोगों के नियंत्रण हेतु ट्राइकोडर्मा एवं ब्यूवेरियावेसियाना के प्रयोग के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि कृषकों को 75 प्रतिशत अनुदान पर विभाग में उपलब्ध है। भूमि संरक्षण अधिकारी इन्द्रसेन नाथ ने बताया कि खेत तालाब योजनान्तर्गत गांवों में मछली पालन हेत तालाब बनने हैं। इच्छुक लाभार्थी भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय में सम्पर्क करें। कृषि वैज्ञानिक अरविन्द कुमार ने धान की उन्नतशील प्रजातियों पूसा 1509, पूसा बासमती 1121, (सुगन्धा-4) एवं सुगन्धा-5 की तकनीकी जानकारी देते हुए वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने की सलाह दी। संकर बाजरा की विविध प्रजातियों जैसे 86एम086 व सुपरबोस आदि की जानकारी के साथ ही दलहनी फसलों की सहफसली खेती के महत्व पर प्रकाश डाला। कृषक योगेश कुमार, ग्राम जलालपुर द्वारा बागवानी फसलों को बढ़ाने, पुराने बागों के जीर्णोद्धार कराने की योजना की मांग की। कृषक वीरपाल सिंह ग्राम ऐंहन द्वारा जनपद में जैविक खेती की योजना की मांग करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र में जैविक खेती के प्रशिक्षण की व्यवस्था कराने की अपील की। कृषक किशन सिंह ग्राम पिपलगवां विकासखण्ड सिकन्द्राराऊ ने कृषकों के हित में फसलों के मूल्यों की जानकारी हेतु पूर्वानुमान की व्यवस्था विकसित होनी चाहिए, जिसमें कृषक अपनी फसलों का सही चयन कर सके। गोष्ठी का संचालन डा0जितेन्द्र कुमार शर्मा द्वारा किया गया। गोष्ठी में मत्स्यपालन, सहकारिता, इफको, सिंचाई, कृषि, बैंक, उद्यान, पशुपालन आदि अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में कृषक उपस्थित रहे।