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मन में जब घोर निराशा हो ,
मन व्यथित हो शांति पिपासा हो |
“हरि ॐ ” नाम उच्चारण कर
कर नेत्र बंद प्रभु सुमिरण कर |
धरि धीर नीर दृग बहा नहीं ,
ना हो अधीर प्रभु कहाँ नहीं |
जीवन में  कर्म निरन्तर कर ,
हरि ॐ नाम ……
कर कर्म सुकर्म धरा पर तू ,
क्यों फल चिन्ता से डरा है तू |
विधना के विधान में दखल ना दे,
भयभीत न हो ,नवअकल ना दे |
प्रभु ही हैं नियंता बुद्धि के ,
सब हानि ,लाभ ,यश वृद्धि के |
रख अडिग कदम चल निडर डगर
हरि ॐ नाम  ….
एन0के0दीक्षित ,जलेसर 

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