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हरिद्वार : पतंजलि अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में आधुनिक चिकित्सा तथा आयुर्वेद के अंतर को पाटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण रखते हुए एक मंच पर चर्चा हुई जिसमें देश के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल व संस्थानों के डॉक्टर्स व वैज्ञानिकों ने भाग लिया। पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि 21वीं शताब्दी ज्ञान विज्ञान की शताब्दी है, यह भारत की शताब्दी है, यह योग और अध्यात्म की शताब्दी है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया का हेल्थ और वैलनेस का सबसे बड़ा केंद्र भारत होने वाला है। स्वामी जी ने कहा कि योग में मेरा 50 साल का और आयुर्वेद में 35 साल का अनुभव है। हमने योग साइंस पढ़ा है, आयुर्वेद साइंस भी पढ़ा है और मॉडर्न मेडिकल साइंस आप लोगों से पढ़ते हैं। अपने पूर्वजों के ज्ञान- योग, आयुर्वेद तथा नेचुरोपैथी को कुछ लोग बहुत बुरा-बुरा बोलते हैं जिससे विज्ञान को क्षति पहुँचती है।
जो टारगेटेड ट्रीटमेंट हैं या, टारगेटेड थेरेपी है या टारगेटेड मेडिसन है, टारगेटेड कीमो है, टारगेटेड रेडिएशन है, टारगेटेड एंटी-एजिंग मेडिकेशन्स हैं, इनमें क्या होता है। हम सिस्टेमिक तथा सिमटोमटिक ट्रीटमेंट दोनों दे रहे हैं। हम मेडिसिन भी दे रहे हैं एंटी एजिंग भी, इम्यूनिटी बूस्टर भी। ये सिस्टम को भी ठीक कर रही है, सिम्टम्स को भी ठीक कर रही है, बॉडी पर भी काम कर रही है और शरीर व इन्द्रियों पर भी। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कैंसर सेल्स को कीमो से जलाने या सर्जरी से काटने के बजाय योग से आत्मविसर्जन के लिए तैयार कर दें।
पूज्य आचार्य जी ने दोहा एयरपोर्ट से ऑनलाइन माध्यम से सम्मेलन में भाग लेते हुए कहा कि हम अपनी संस्कृति, परम्परा और परम्परागत विधा को आधुनिक विज्ञान सम्मत बनाकर प्रामाणिक रूप से स्थापित कर रहे हैं। प्राचीनकाल में भी हमारी यही ऋषि परम्परा रही है। सभी ऋषि-मुनि एक साथ एक जगह एकत्र होकर संगोष्ठि करते थे जिसके माध्यम से ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। प्राचीनकाल में भी ऋषि-मुनियों के मन में रोगियों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का ही भाव था। आचार्य जी ने कहा कि आज हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी एविडेंस बेस्ड मेडिसिन की बात करते हैं जो ऐसे ही सम्मेलनों के माध्यम से सम्भव है। उन्होंने कहा कि अब समय मजबूती से साथ खड़े होकर अपनी बात रखने का है, उसके लिए व्यापक स्तर पर अनुसंधान करने की आवश्कता है।
पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान में संचालित शोध गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ड्रग डिस्कवरी और डेवलपमेंट का साइकल किस प्रकार आयुर्वेदिक औषधियों में सफलता के साथ सम्पादित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में एआइएमएस भोपाल व एआइएमएस जम्मू के प्रो. वाई. के. गुप्ता ने कहा कि पूज्य स्वामी जी ने हमारी प्राचीन धरोहर योग को देश ही नहीं पूरे विश्व में पहुंचाया है। प्रो. गुप्ता ने कहा कि पूज्य स्वामी जी तथा पूज्य आचार्य जी ने आयुर्वेदिक औषधियों को मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम के आधार पर एविडेंस बेस्ड मेडिसिन के रूप में स्थापित किया।
सम्मेलन में एनआईएमएस विश्वविद्यालय, जयपुर (राजस्थान) के डायरेक्टर सर्जिकल डिसिप्लिंस प्रोफेसर अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि मात्र भोजन तथा लाइफस्टाइल में परिवर्तन कर रक्तचाप, मधुमेह, मेटाबॉलिक सिंड्रोम और यहां तक कि कैंसर से भी बचा जा सकता है। विश्व में कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या पर उन्होंने कहा कि यही स्थिति रही तो वर्ष 2035 तक ये एक बड़ी महामारी का रूप ले लेगी।
सफदरजंग हॉस्पिटल नई दिल्ली के हैड ऑफ सर्जरी एण्ड सर्जिकल ओंकोलॉजी प्रो. चिंतामणी ने कहा कि योग व आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के लिए पूज्य स्वामी जी व पूज्य आचार्य जी को नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए। आज योग-आयुर्वेद ने संपूर्ण मानवजाति को रोगमुक्त करने का अभूतपूर्व कार्य किया है। डॉ. चिंतामणी ने कहा कि एक अध्ययन से पता चला है कि मृत्यु का पहला मुख्य कारण कैंसर, दूसरा हृदय रोग तथा तीसरा बड़ा मुख्य कारण दवाओं का विपरीत प्रभाव है। लीवर डैमेज तथा ट्रांसप्लांट का मुख्य कारण एलोपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव है।
एआइआइएमएस, नई दिल्ली के प्रोफेसर व सर्जिकल ओंकोलॉजी प्रो. डॉ. (मेजर) आर.डी. रॉय ने कहा कि कैंसर के रोगी को ऑपरेशन से पहले जो इम्यूनोन्यूट्रिएंट इंजेक्शन लगातार 14 दिन तक दिया जाता है उसकी कीमत लगभग 4700 रुपए है। इसके विकल्प के रूप में पूज्य स्वामी रामदेव जी ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान के माध्यम से सिस्टोग्रिट नामक औषधि तैयार की है जो इसकी तुलना में काफी सस्ती है। हमें ऐसे ही विकल्प तैयार करने होंगे।
एआइआइएमएस, ऋषिकेश की एक्जीक्यूटिव डॉयरेक्टर प्रो. मीनू सिंह ने ऑनलाईन माध्यम से सम्मेलन में जुड़कर कहा कि हमने पारंपरिक नुस्खो का अध्ययन कर पाया कि पौधों की जड़, तना, पत्ती, फूल, फल आदि से रोगों की कारगर औषधि बनाई जा सकती हैं।
कार्यक्रम की समस्त रूपरेखा में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय की अहम भूमिका रही। कार्यक्रम में एसीटीआरइसी, नई मुम्बई के प्रो. विक्रम सूर्य प्रकाश गोटा, एआइआइएमएस ऋषिकेश के कार्डियोलॉजी विभाग के विभागप्रमुख प्रो. भानू दुग्गल, सुभारती मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल, मेरठ के डॉ. कृष्णमूर्ति, पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अनुपम श्रीवास्तव, सिनियर रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सविता लोचब, सिनियर प्रिसिंपल साइंटिस्ट डॉ. ऋषभदेव जी ने अपने शोध प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में पतंजलि अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति हलदर, डी.जी.एम. ऑपरेशन श्री प्रदीप नैन, डॉ. निखिल मिश्रा, डॉ. सीमा गुजराल, डॉ. ज्योतिष श्रीवास्तव, श्री देवेन्द्र कुमावत, श्री संदीप सिन्हा तथा डॉ. कुणाल भट्टाचार्य का विशेष सहयोग रहा।

INPUT- BUERO REPORT

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